लखनऊ, लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षक अब रिटायरमेंट में तीन वर्ष से कम समय बचने पर पीएचडी गाइड नहीं बन सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी गाइडलाइंस के तहत तैयार किए जा रहे संशोधित पीएचडी अध्यादेश में इस बिंदु को शामिल किया जाएगा। 59 वर्ष से अधिक आयु वाले शिक्षकों को शोध पर्यवेक्षक नहीं बनाया जाएगा। डिग्री और विश्वविद्यालय शिक्षकों की सेवानिवृत्त आयु 62 वर्ष है।
शोधार्थियों की समस्याओं के समाधान को उठाया कदम एलयू में मंगलवार को कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में अध्यादेश समिति की बैठक हुई। इसमें संशोधित पीएचडी अध्यादेश को लेकर चर्चा हुई। सभी सदस्यों ने अपने विचार रखे। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि अब उन शिक्षकों को पीएचडी गाइड नहीं बनाया जाएगा जिनके रिटायरमेंट में तीन साल से कम समय बचा है। साथ ही बैठक में रिसर्च एडवाइजरी कमेटी के गठन का भी फैसला किया गया है। इससे शोधार्थियों की समस्याओं का निराकरण आसानी से किया जा सकेगा। इस फैसले के बाद शोध छात्रों के दाखिले के प्रक्रिया में बदलाव होगा। संशोधित पीएचडी अध्यादेश के तहत ही सत्र 2023-24 पीएचडी में दाखिले लिए जाएंगे।
59 वर्ष से ज्यादा के शिक्षक अब शोध नहीं करा सकेंगे
संशोधित पीएचडी अध्यादेश तैयार किया जा रहा है। इसके तहत वह शिक्षक अब पीएचडी कराने में सक्षम नहीं होंगे जिनकी रिटायरमेंट अवधि तीन साल से कम बची हो।
-प्रो. आलोक कुमार राय, कुलपति