Primary ka master : फर्जीवाड़े में शिक्षा माफिया का विभाग के बाबुओं ने दिया बराबर साथ, पढ़ें पूरी खबर


बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेज के सहारे शिक्षकों की भर्ती कराने के मामले में शिक्षा माफिया राकेश सिंह पर कार्रवाई जारी है। लेकिन जिले बाबुओं के सहारे इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ, उनसे अभी तक पूछताछ भी नहीं हुई है। बताया यह भी जा रहा है. कि बाबू ही तय करते थे कि किस पटल पर फर्जी दस्तावेज वालों की काउंसलिंग करनी है। यहीं से यह खेल शुरू होता था, ऐसे में जितना माफिया राकेश सिंह दोषी है, उससे कम यह नहीं हैं। ऐसा विधि के जानकारों का कहना है। लेकिन विभागीय जिम्मेदार इससे अनजान बने हुए हैं। जिले में वर्ष 2018-19 में बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी दिलाने के मामले का खुलासा हुआ था। इसके बाद मामले की जांच एसटीएफ कर रही है।






एसटीएफ की जांच में शिक्षक से माफिया बन बने देवरिया जनपद के भाटपाररानी थाना क्षेत्र के कुइचवर गांव निवासी राकेश सिंह का नाम सामने आया जो इस गिरोह को संचालित करता था। सूत्र बताते हैं रुपये देकर उसने विभाग पर पकड़ बनाई और कार्यालय के बाबूओं को भी इस खेल में शामिल कर लिया। इसके बाद विभाग के बाबुओं ने राजेश सिंह को फर्जीवाड़े के दांव-पेच सिखाए।



रुपये के साथ विभाग में दखल बढ़ी तो हर कोई उसके पीछे हो गया। शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों के मुताबिक माफिया की घुसपैठ इतनी जबरदस्त हुई की जो फर्जीवाड़े में सहयोग नहीं किया उसका पटल बदल जाता था फिर एक ऐसी टीम तैयार हुई जो हर काउंसिलिंग में बैठती थी। इससे जुड़े बाबू यह तय कर देते थे इसके बाद फर्जी दस्तावेज वाले को उसी काउंटर पर भेजा जाता था। यहां पर बाबू अपने हिसाब से फाइल तैयार कर जांच रिपोर्ट लगवाकर ज्वाइनिंग करवा देते थे। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े फर्जीवाड़े में विभाग के बाबू भी शामिल थे तो कार्रवाई केवल माफिया तक ही सीमित कैसे रही जबसे शिक्षा माफिया राकेश सिंह पर कुर्की का डंडा चला है,तबसे शिक्षा विभाग से जुड़े लोग यह कह रहे हैं कि इन बाबुओं को क्यों छोड़ा गया है, इनके समय में रहने वाले बीएसए को क्यो बख्सा जा रहा है। माफिया के साथ ही यह भी दोषी हैं, अगर यह लोग विरोध करते और कार्रवाई की बात करते तो शायद इतना बड़ा फर्जीवाड़ा होता ही नहीं इसलिए इन पर भी कार्रवाई जरूरी हैं, जो कि जिम्मेदार कर नहीं रहे हैं।