लखनऊ। प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में इन दिनों अध्यापकों का ज्यादा समय मोबाइल पर बीत रहा है। वे मोबाइल पर विभिन्न एप के जरिए विभागीय डाटा फीडिंग में व्यस्त रहते हैं। सुबह बच्चों की फोटो अपलोड करने से शुरू हुई उनकी दिनचर्या शाम में डाटा फीडिंग के साथ समाप्त हो रही है। ऐसे में उन्हें पढ़ने-पढ़ाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है।
वर्तमान में विभाग के आधा दर्जन से अधिक एप पर स्कूल और बच्चों से जुड़ीं सूचनाएं भरने से शिक्षण कार्य बेपटरी है। इससे अध्यापक भी परेशान हैं। उनको प्रेरणा डीबीटी एप पर डीवीटी से दी जाने वाली 1200 रुपये की राशि का विवरण भरना होता है। प्रेरणा यूपी पर विद्यालय व छात्रों का डाटा और हाउस होल्ड सर्वे की फीडिंग करना होता है। नए बच्चों के रजिस्ट्रेशन में उनका नाम, जन्मतिथि, मां-पिता की डिटेल, उनके आधार नंबर, खाता नंबर, बैंक खाता लिंक है या नहीं, पता, पिन कोड, राशन कार्ड आदि जानकारी फीड करनी होती है। इस तरह हर एप पर डाटा फीडिंग में शिक्षकों में 15 से 30 मिनट तक का समय लगता है। ऑनलाइन बैठकें भी होती हैं। वे विभागीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होते हैं। जूम पर ऑनलाइन मीटिंग से लेकर प्रशिक्षण का काम भी ऑनलाइन ही करते हैं।
विभागीय काम के लिए शिक्षक एक दर्जन से अधिक एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क भी बड़ी समस्या है। डाटा फीडिंग के लिए ब्लॉक, न्याय पंचायत स्तर पर कर्मचारी लगाने चाहिए। विनय कुमार सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक स्नातक एसोसिएशन उप्र
शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए ये एप शुरू किए गए हैं। शिक्षकों को पढ़ाई के साथ यह आधुनिक शिक्षा से भी जोड़ते हैं। सीयूजी नंबर देने आदि को लेकर शिक्षक संगठनों ने प्रत्यावेदन दिया है। इस पर शासन विचार करेगा। डॉ. महेंद्र देव, निदेशक, बेसिक शिक्षा विभाग
विभाग से नहीं मिला सीयूजी नंबर, न ही मोबाइल फोन
इन सारे एप के संचालन व डाटा फीडिंग के लिए शिक्षकों को विभाग से न तो सीयूजी नंबर दिया गया है, न ही मोबाइल फोन मिला है। यह काम वे अपने मोबाइल और डाटा से करते हैं। ग्रामीण इलाकों में खराब नेटवर्क भी बड़ा मुद्दा है। कई बार एक ही डाटा फीड करने में काफी समय लगता है। कुछ शिक्षक तो कार्यवाही के डर से रात में घर जाकर भी डाटा फीडिंग का काम पूरा करते हैं।
ऐसे कैसे होगी निपुण लक्ष्य की प्राप्ति
केंद्रीय योजना के तहत प्रदेश में निपुण लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विभाग लगातार कोशिश कर रहा है। पर, सवाल यह भी है कि अगर शिक्षक सुबह से शाम तक डाटा फीडिंग में ही लगे रहेंगे तो वे बच्चों को समय कब देंगे। ऐसे में निपुण लक्ष्य की प्राप्ति कैसे हो सकेगी।
विभिन्न मोबाइल एप व जुड़े काम
एनआईएलएप- इसमें निरक्षर व्यक्तियों की पहचान का डाटा फीड होता है।
शारदा- ड्रॉप आउट बच्चों के नामांकन का डाटा फीड होता है।
यू-डायस- विद्यालय की वार्षिक और छात्रों की प्रगति की फीडिंग
रीड एलांग- हिंदी और अंग्रेजी भाषा के विकास के लिए
समर्थ-अंग्रेजी भाषा व छात्रों की उपस्थिति दर्ज करने का काम सरल- इसके जरिए बच्चों का निपुण
एसेसमेंट टेस्ट किया जाता है
दीक्षा- शिक्षकों के अनिवार्य प्रशिक्षण की ऑनलाइन व्यवस्था के लिए
गूगल मीट- अधिकारी इस एप के माध्यम से ऑनलाइन मीटिंग करते हैं.
- आधा दर्जन से अधिक एप पर शिक्षक करते हैं डाटा फीडिंग
- हर डाटा फीडिंग में लगता है 15 से 30 मिनट तक का समय