पिछले साल भी जुलाई के पहले सप्ताह में किताबों का टेंडर जारी हो सका था। बाजार में देर से किताबें आने के कारण अधिकांश बच्चे अनाधिकृत प्रकाशकों की महंगी किताबें और गाइड खरीद लेते हैं। वैसे तो एनसीईआरटी की किताबें बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन एक तो वह पर्याप्त संख्या में नहीं है और दूसरे यूपी बोर्ड की किताबों से महंगी है।
हिंदी-उर्दू-संस्कृत की किताबें छपवाएगा बोर्ड
प्रयागराज। अधिकृत और त्रुटिहीन किताबें उपलब्ध कराने के मकसद से यूपी बोर्ड ने इस बार हिन्दी, संस्कृत और उर्दू विषयों की किताबों के प्रकाशन का भी टेंडर जारी किया है। अब तक इन तीन विषयों का पाठ्यक्रम तो बोर्ड निर्धारित करता था लेकिन किताबों के प्रकाशन पर बोर्ड का नियंत्रण नहीं था। यानि कोई भी प्रकाशक इन्हें छाप सकता था।