मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को प्रशांत कुमार मिश्रा और वरिष्ठ अधिवक्ता कल्पति वेंकटरमन (केवी) विश्वनाथन को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों के तौर पर पद की शपथ दिलाई।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 34 हो गई है जो इसकी स्वीकृत संख्या है। हालांकि, शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की पूर्ण संख्या कुछ समय के लिए ही रहेगी क्योंकि शुक्रवार तीन न्यायाधीशों का अंतिम कार्य दिवस भी है जो जून में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इनमें जस्टिस के. एम. जोसफ, अजय रस्तोगी और वी. रामसुब्रमण्यम शामिल हैं। ये अगले महीने सेवानिवृत्त होने वाले हैं। ग्रीष्मावकाश 22 मई से दो जुलाई तक रहेगा। जोसफ 16 जून को, रस्तोगी 17 जून को और रामसुब्रमण्यम 29 जून को सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस विश्वनाथन 11 अगस्त, 2030 को जे. बी. पारदीवाला के सेवानिवृत्त होने पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनेंगे और 25 मई, 2031 तक इस पद पर रहेंगे। जस्टिस मिश्रा और विश्वनाथन की शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति का वारंट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यालय से गुरुवार को जारी किया गया था। उनकी नियुक्ति की घोषणा नये कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ट्विटर पर की।
जस्टिस मिश्रा को 10 दिसंबर, 2009 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्हें 13 अक्तूबर, 2021 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। विश्वनाथन अगस्त 2030 में नौ महीने के लिए सुप्रीम कोर्ट के 58वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे।
चार अतिरिक्त न्यायमूर्तियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को मद्रास उच्च न्यायालय में चार अतिरिक्त न्यायमूर्तियों की नियुक्ति की, जिनमें उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल पी. धनबल भी शामिल हैं। राष्ट्रपति ने न्यायिक अधिकारियों - रामासामी शक्तिवेल, पी. धनबल, चिन्नासामी कुमारप्पन और कंडासामी राजशेखर को दो साल की अवधि के लिए मद्रास उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायमूर्ति नियुक्त किया है।
कॉलेजियम ने 16 मई को सिफारिश की थी
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 16 मई को केंद्र सरकार से जस्टिस मिश्रा और वरिष्ठ अधिवक्ता विश्वनाथन के नाम की सिफारिश शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए की थी। केंद्र सरकार ने दो कार्यदिवस में ही उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी।