यूपी के इस जिले में पूर्व और वर्तमान बीएसए के बीच छिड़ा 'लेटर वार', फर्जी दस्‍तखत करने वाला क्‍लर्क वजह; जानें पूरा मामला

सिद्धार्थनगर जिले के परिषदीय विभाग में तैनात लिपिक पर 15 विद्यालयों को तत्कालीन बीएसए राम सिंह का फर्जी हस्ताक्षर कर मान्यता देने और उसकी पत्रावली गुम करने का आरोप साबित हो चुका है। लिपिक पर कार्रवाई के बारे में पूर्व बीएसए राम सिंह ने वर्तमान बीएसए से जानकारी मांगी तो दोनों में आरोप-प्रत्यारोप का ‘लेटर वार’ शुरू हो गया। पूर्व बीएसए राम सिंह ने वर्तमान बीएसए पर दोषी लिपिक को बचाने का गंभीर आरोप मढ़ा है। सिद्धार्थनगर के बीएसए ने पूर्व बीएसए राम सिंह पर ही आरोप मढ़ते हुए तीन बिंदुओं पर जवाब मांगा था, जिस पर उन्होंने पत्र भेजकर कहा कि आरोपों के संदर्भ में कई बार जानकारी मांगी। उच्चाधिकारियों को तीनों बिंदुओं पर जवाब देते हुए पूर्व बीएसए राम सिंह ने वर्तमान बीएसए देवेंद्र कुमार पांडेय पर दोषी लिपिक पर टुकड़ों-टुकड़ों में कार्रवाई कर उसे बचाने का आरोप लगाया है।



10 मई 2023 को बीएसए रामसिंह ने भेजे जवाब में बताया कि 30 मार्च 2019 को ही डिस्पैच पंजिका क्लोज कर दिया गया था। इसके बाद फर्जी एवं कूटरचित हस्ताक्षर से तैयार किए गए मान्यता आदेश डिस्पैच किए जाने के साथ-साथ तीन पत्र भी डिस्पैच किए जाने का तथ्य आपके पत्र से प्रकाश में आया है। उन्होंने बताया कि डिस्पैच रजिस्टर क्लोज किए जाने के बाद डिस्पैच नंबर 21084-88, 21089-94, 21095-21100 को तत्कालीन कनिष्ठ लिपिक मुकुल मिश्र की राइटिंग में ही अंकित किया गया है। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि उक्त तीनों पत्रों के पटल सहायक अर्थात पत्र तैयार कर निर्गत कराने वाले कर्मी के रूप में मुकुल मिश्र का ही नाम अंकित है, जबकि डिस्पैच रजिस्टर क्लोज किए जाने के पूर्व अनुचर गिरजेश की राइटिंग में ही डिस्पैच किए गए पत्रों का विवरण अंकित है। 


अन्य कार्यालयी दिवसों में भी अनुचर गिरजेश की ही राइटिंग में ही पत्र डिस्पैच किए गए हैं। जब सभी पत्र अनुचर की ओर से डिस्पैच किए जा रहे थे तो रजिस्टर क्लोज किए जाने के बाद वाले सभी पत्र अनुचर की जगह मुकुल मिश्र द्वारा ही क्यों डिस्पैच किया गया। तत्कालीन बीएसए ने यह सवाल खड़ा कर दिया है। तत्कालीन बीएसए ने पत्र में कहा कि मुकुल मिश्र ने प्रायोजित तरीके से फर्जी और कूटरचित हस्ताक्षर वाले मान्यता आदेशों के डिस्पैच करने से पूर्व बड़ी ही चतुराई से ऐसे पत्रों जिन्हें उनके द्वारा 30 मार्च 2019 को डिस्पैच रजिस्टर क्लोज करने से पूर्व ही हस्ताक्षरित करा लिया गया था, परंतु उन्हें अपने पास रोककर मुकुल ने कूटरचित हस्ताक्षर वाले मान्यता आदेशों को डिस्पैच किए जाने के बाद डिस्पैच किया गया।


कार्रवाई पर सवाल करने से जागे बीएसए उन्होंने बताया कि लिपिक मुकुल द्वारा फर्जी एवं कूटरचित हस्ताक्षर से अनेकों मान्यता दिए गए हैं। जिसके संदर्भ में उन्होंने 10 फरवरी 2021, 30 नवंबर 2021 और 25 नवंबर 2022 को पत्र भेजकर हस्ताक्षर फर्जी एवं कूटरचित होने की पुष्टि की थी। इसके बाद भी लिपिक के आपराधिक कृत्य पर वर्तमान बीएसए की ओर से यथासंभव पर्दा डाला जा रहा है। पूर्व बीएसए राम सिंह ने आरोप लगाया कि व्यक्तिगत और फोन से इसकी जानकारी मांगी गई।

तत्कालीन बीएसए को पत्र की भाषा पर एतराज
30 अप्रैल 2023 को निलंबित लिपिक की कार्रवाई में फर्जी एवं कूटरचित हस्ताक्षर का उल्लेख नहीं होने के संदर्भ में सवाल करने पर मुझे ही आरोपी बनाते हुए अनुशासनिक कार्रवाई का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजने की बात कहकर धमकाया जा रहा है। जबकि बीएसए सिद्धार्थनगर मेरे ही संवर्ग के मुझसे कनिष्ठ अधिकारी है। पत्र में लिखी गई यह भाषा काफी निंदनीय है।


क्या है मामला
दरअसल, बीएसए सिद्धार्थनगर ने 29 अप्रैल 2023 को मान्यता आदेश में फर्जीवाड़ा किए लिपिक को निलंबित कर 15 विद्यालयों का मान्यता आदेश रद्द कर दिया है। इस निलंबन में कूटरचित-फर्जीवाड़े का उल्लेख नहीं होने पर तत्कालीन बीएसए राम सिंह ने 30 अप्रैल 2023 को बीएसए सिद्धार्थनगर को पत्र भेजकर कार्रवाई पर सवाल खड़ा कर दिया है। इससे भड़के बीएसए देवेंद्र कुमार पांडेय ने तीन बिंदुओं पर जवाब मांगते हुए तत्कालीन बीएसए राम सिंह को ही कटघरे में खड़ा कर दिया।

क्‍या बोले कमिश्‍नर 
बस्‍ती के कमिश्‍नर अखिलेश सिंह ने कहा कि इस प्रकरण की पत्रावली मंगाकर मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी। मामले में जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई होगी।