कहा कि आज भारत 21वीं सदी की आधुनिक आवश्यकताओं के मुताबिक नई व्यवस्थाओं का निर्माण कर रहा है। एनईपी इसी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। हम इतने वर्षों से स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर अपने बच्चों को केवल किताबी ज्ञान दे रहे थे जबकि एनईपी व्यावहारिक ज्ञान पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री ने छात्रों को उनकी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि नई शिक्षा नीति ने इसके लिए प्रावधान किए हैं। उन्होंने कहा कि इस बार जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, देश के लाखों शिक्षकों ने उसको बनाने में योगदान दिया है। शिक्षकों के परिश्रम से पूरी शिक्षा नीति बन पाई है और इसके कारण सभी जगह उसका स्वागत हुआ है।