प्रयागराज : बेसिक शिक्षा की 69,000 शिक्षक भर्ती विभागीय अधिकारियों के गले की फांस बन गई है। इस भर्ती में अधिकारियों पर गलत ढंग से ओवरलैपिंग कर करीब 19,000 सीटों पर आरक्षण में गड़बड़ी करने का आरोप लगा है।
इस मामले में अभ्यर्थियों की याचिका पर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक जून 2020 की चयन सूची को तीन माह में संशोधित करने का आदेश 13 मार्च 2023 को दिया था, लेकिन याची अभ्यर्थी सरकार की पहल की प्रतीक्षा किए बिना ही डबल बेंच में पहुंच गए। कोर्ट प्रकरण पर सुनवाई कर रही है और 29 मई को फिर सुनवाई होगी। पीड़ित अभ्यर्थियों के साथ ही विभागीय अधिकारियों की भी नजर सुनवाई के निर्णय पर है।
इस भर्ती में पीड़ित अभ्यर्थियों की लड़ाई लड़ रहे पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी का आरोप है कि 27 की जगह 3.80 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ा वर्ग को दिया गया है । इसी तरह एससी और एसटी श्रेणी में भी कम लाभ दिया गया है। कोर्ट सरकार से पूछ चुकी है कि इस भर्ती की बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 के अनुसार कितने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओवरलैपिंग की गई है और कितने की नहीं कराई गई है।
यह भी पूछा है कि लखनऊ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के 13 मार्च के आदेश के क्रम में अब तक क्या कार्यवाही की गई है और इसमें सरकार का अगला कदम क्या होगा। अभ्यर्थियों की नजर अब कोर्ट की सुनवाई पर है। इस प्रकरण में सरकार की ओर से जारी आरक्षित वर्ग की 6800 की सूची को गलत मानकर कोर्ट खारिज कर चुकी है। इससे उन्हें राहत की उम्मीद है।
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