RTE के तहत 273 स्कूलों ने गरीब बच्चों को दाखिला नहीं दिया


लखनऊ। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत पहली लॉटरी में नाम आने के बावजूद प्रदेश के 18 जिलों में 273 निजी स्कूल गरीब बच्चों को प्रवेश देने में लगातार आनाकानी कर रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि लॉटरी के 29 दिन बाद भी स्कूलों में सभी चुने हुए बच्चों का दाखिला नहीं हो सका है। हालत यह है कि बच्चों के माता-पिता और अभिभावक आरटीई के तहत दाखिले के लिए जिले में बीएसए के दफ्तर से लेकर लखनऊ में स्कूल शिक्षा महानिदेशक के कार्यालय तक पहुंचने लगे हैं।


इन जिलों के कुछ स्कूल नहीं कर रहे आरटीई अधिनियम का पालन जिन जिलों में स्कूलों ने प्रवेश नहीं दिया है, उनमें बहराइच, गोण्डा, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, वाराणसी, कुशीनगर, देवरिया, बलिया, मऊ, गाजीपुर, सोनभद्र, मुरादाबाद, रामपुर, चन्दौली, बदायूं, शामली, अमरोहा, बिजनौर व सहारनपुर प्रमुख हैं।

273 स्कूलों ने नहीं लिया है दाखिला शिक्षा महानिदेशक कार्यालय को मिली शिकायतों के अनुसार करीब 273 निजी स्कूल ऐसे हैं, जिसने अब तक आरटीई के तहत प्रवेश के लिए निकाली गई लॉटरी में चुने गए बच्चों को प्रवेश नहीं दिया है। बताया जाता है कि इनमें से कई स्कूल ऐसे हैं, जिनमें चयनित बच्चों के माता-पिता या अभिभावकों को रोज या दो-चार दिन के अन्तराल पर एडमिशन के लिए बुलाया जाता है और फिर कोई न कोई बहाना बनाकर टरका दिया जाता है। इससे ये अभिभावक स्कूल और अफसरों के बीच दौड़ लगाते रहते हैं।



नियमानुसार सभी को प्रवेश देना है अनिवार्य

जिलों में तैनात बीएसए का कहना है कि कुछ स्कूल जो अपने को कान्वेंट स्कूल कहते हैं, खुद को आरटीई अधिनियम के दायरे से बाहर का मानते हैं। नियमानुसार सभी को इस अधिनियम के तहत अपने बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य है।

संबंधित जिलों के डीएम को बोला गया है कि वे ऐसे स्कूल जो आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दे रहे, को नोटिस दें और नहीं मानते हैं तो कार्रवाई करें।
विजय किरण आनन्द, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश