शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता प्राप्त करने की अनिवार्यता को खत्म करने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनसीटीई से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने एनसीटीई को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
पीठ ने गैर सरकारी संगठन जस्टिस फॉर आल की ओर से 2018 में दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में एनसीटीई की ओर से आरटीई अधिनियम लागू होने के 5 साल के भीतर देशभर के स्कूलों में मौजूदा शिक्षकों को न्यूनतम योग्यता प्राप्त करने की अनिवार्यता को खत्म किए जाने को चुनौती दी गई है।
पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि संसद द्वारा बनाए गए कानून के प्रावधान को महज एक अधिसूचना जारी कर कैसे खत्म किया जा सकता है। शिक्षा की गुणवत्ता के मद्देनजर शिक्षकों को न्यूनतम योग्यता प्राप्त करनी चाहिए।
एनसीटीई की ओर से अधिवक्ता ने पीठ से इस बारे में अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त देने की मांग की। हालांकि मामले में पहले भी जवाब दाखिल कर चुके हैं। न्यायालय ने याचिकाकर्ता संगठन के वकील खगेश झा को भी अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी।