कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अंशधारकों को ऊंचा रिटर्न देने और बाजार की अस्थिरता से अपनी आय को बचाने के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश की निकासी की नीति को संशोधित करने का फैसला किया है।
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की हालिया बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई और बाद में इसे मंजूरी दे दी गई। ईपीएफओ ने इसके तहत ईटीएफ की यूनिट की निकासी करने से पहले उनकी न्यूनतम होल्डिंग अवधि को चार साल से अधिक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में इन ईटीएफ को चार साल में भुनाया जाता है।
अपने निवेश दिशानिर्देशों के तहत, ईपीएफओ इक्विटी और संबंधित निवेशों में अपनी आय का पांच से 15 फीसदी के बीच निवेश कर सकता है। इसने अगस्त 2015 में ईटीएफ के माध्यम से इक्विटी में अपनी नई आय का पांच फीसदी निवेश के निर्णय के बाद शेयरों में निवेश बढ़ाना शुरू किया।
सरकारी बॉन्ड से अधिक मुनाफा देने की तैयारी
ईपीएफओ ईटीएफ इकाइयों की निकासी सीमा को सरकारी बॉन्ड से भी जोड़ सकता है। योजना के तहत, जिन इकाइयों को भुनाया जाना प्रस्तावित है, उनकी होल्डिंग-पीरियड रिटर्न 10 साल के बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड से कम से कम 2.50 फीसदी अधिक होनी चाहिए। साथ ही रिटर्न निफ्टी या सेंसेक्स के आधार पर औसत पांच साल के रिटर्न से ऊपर होना चाहिए।
शेयरों में निवेश बढ़ेगा
ईटीएफ में निकासी आय के केवल 15 फीसदी के पुनर्निवेश के कारण, कुल ईपीएफ कॉर्पस में इक्विटी निवेश का हिस्सा धीमी गति से बढ़ रहा है। 31 जनवरी, 2023 तक इक्विटी में निवेश आय का 10.03 फीसदी था और यह अनुमान लगाया गया है कि फंड के इक्विटी हिस्से को 15 फीसदी अंक तक पहुंचने में पांच से छह साल लग सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि संशोधनों से रिटर्न की आंतरिक दर को आसान बनाने और ईटीएफ इकाइयों को भुनाने पर पूंजीगत लाभ को अधिकतम करने में मदद मिलेगी। ईपीएफओ समय-समय पर ईटीएफ इकाइयों को भुनाता है। अब इस निवेश को चार साल से अधिक समय तक रखकर ज्यादा पूंजीगत लाभ लेकर इसे अंशधारकों को देने योजना है।