नई दिल्ली, इनकम टैक्स विभाग ने करीब आठ हजार लोगों को नोटिस भेजा हैं। विभाग को संदेह कि इन लोगों ने धर्मार्थ संस्थानों को बड़ा दान देने के नाम पर कर की चोरी की है। नोटिस पाने वालों में कंपनियां, कारोबारी, वेतनभोगी और व्यवसाय चलाने वाले लोग भी शामिल हैं। सभी लोगों को मार्च से लेकर एक अप्रैल के बीच नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है।
सभी मामलों में कुछ बातें एक जैसी: विभाग के अनुसार, जिन आठ हजार मामलों में नोटिस भेजे गए हैं, उनमें कुछ बातें एक जैसी हैं। इन मामलों में सटीक उसी रकम का दान दिखाया गया है, जो टैक्स स्लैब को कम करने या पूरी तरह से छूट पाने के लिए जरूरी थी। इसके अलावा सभी मामलों में नकद दान किया गया । इसी तरह वेतन से कमाई पर निर्भर कुछ आयकर दाताओं ने टैक्स पेशेवरों को ज्यादा भुगतान किया है।
कर चोरी में मदद की आशंका : अधिकारियों का कहना है कि कई कारोबारियों और कंपनियों ने धर्मार्थ संस्थानों को जो रकम दान की है, वह उनकी कमाई से कहीं मेल नहीं खाती है। इस तरह के मामलों में कुछ धर्मार्थ संस्थाएं एक कमीशन काटकर बाकी नकदी रकम और दान की पर्ची को दानकर्ता को दे देते हैं, जिससे कर चोरी करने में मदद मिलती है।
संस्थाओं पर शिकंजा
आयकर विभाग अब ऐसे धर्मार्थ संस्थानों पर सख्ती करने की तैयारी कर रहा है, जो दानकर्ताओं को फर्जी रसीद उपलब्ध करा रहे हैं। अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो टैक्स से छूट का उनका दर्जा समाप्त किया जा सकता है। इसके अलावा ऐसे कर विशेषज्ञों की जांच की जा रही है, जिन्होंने इस तरह के लेनदेन में मदद की है।
यह है नियम
आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के तहत आय से कटौती के रूप में कुछ निधियों और धर्मार्थ संस्थानों में योगदान की अनुमति है। संस्था की प्रकृति के आधार पर अंशदान का 50- 100% कटौती के रूप में स्वीकृत किया जा सकता है। ऐसे दान भी आय से जुड़ी सीमाओं के अधीन हैं।
और लोगों को भेजे जाएंगे नोटिस
संबंधित नोटिस मार्च के मध्य से लेकर अप्रैल की शुरुआत में भेजे गए हैं। सारे लेनदेन साल 2017-18 से लेकर 2020-21 के दौरान किए गए हैं। आने वाले दिनों में और नोटिस जारी हो सकते हैं।
हाल ही में आयकर विभाग ने बताया था कि साल 2019-20 के दौरान करीब 68 हजार मामले ऐसे मिले हैं, आयकर रिटर्न और विभाग के पास मौजूद जानकारी के बीच कई विसंगतियां मिली हैं। विभाग ने ऐसे करदाताओं को भी नोटिस दिया था।