अगत्स्य, कणाद व आर्य भट्ट का कृतित्व-व्यक्तित्व पढ़ेंगे छात्र, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के स्नातक- परास्नातक के सभी पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाएगा

प्रयागराज : भारतीय ऋषि-मनीषियों ने धर्म के साथ विज्ञान में अहम योगदान दिया है। उसे उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। गणित में आर्य भट्ट, बिजली के आविष्कार में महर्षि अगस्त्य और गति के नियमों की व्याख्या करने वाले महर्षि कणाद को स्नातक- परास्नातक के सभी पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाएगा।





नई शिक्षा नीति 2020 के पाठ्यक्रम तहत के करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को अनुमोदन के लिए भेजा गया है। मुक्त विश्वविद्यालय की नीति के तहत स्नातक-परास्नातक के 31 पाठ्यक्रमों को तैयार किया है। इसके बाद मुवि के इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस केंद्र (सीका) ने इन बदलावों को एकीकृत किया। सीका के निदेशक प्रो. आशुतोष गुप्ता ने बताया कई आविष्कारों का श्रेय पाश्चात्य विज्ञानियों को मिलता है, पर हकीकत में प्राचीन ज्ञान परंपरा इतनी उत्कृष्ठ थी कि हजारों वर्ष पूर्व ही हमारे ऋषियों और मनीषियों ने तमाम सिद्धांत दिए थे।



उस काल में विमान होते थे और बिजली भी होती थी। हवाई जहाज बनाने का श्रेय भले ही राइट ब्रदर्स को दिया जाता है, पर भारतीय वैमानिक शास्त्र में विमान बनाने की विधियों का उल्लेख है। नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय ग्रंथों और उपनिषदों की मदद से विद्यार्थियों उन्नत विज्ञान को पढ़ाया जाएगा।


हर सेमेस्टर में होगा एक कौशल विकास का कोर्स

सीका निदेशक प्रो. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि सभी कार्यक्रमों में कौशल उन्नयन कोर्स हर सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा। अपनी अभिरुचि के अनुसार छात्र कोर्स का चयन कर सकेंगे। पाठ्यक्रमों में हर वर्ष के लिए दो महीने का ब्रिज कोर्स भी पढ़ना होगा। मुवि अपने संसाधनों से विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देगा साथ ही जिन शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों से एमओयू किया गया। है, उनकी भी प्रशिक्षण में मदद ली जाएगी। इसमें योग और डिजास्टर मैनेजमेंट जैसे पाठ्यक्रमों के साथ बीएड स्पेशल पाठ्यक्रमों में मूक-बधिर विद्यार्थयों के लिए शिक्षण प्रणाली को भी शामिल किया गया है।



स्नातक- परास्नातक का पांच वर्षीय एकीकृत पाठ्यक्रम होगा

मुक्त विश्वविद्यालय ने स्नातक परास्नातक का पांच वर्षीय एकीकृत पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसमें पहले वर्ष प्रमाणपत्र, दूसरे वर्ष डिप्लोमा, तीसरे वर्ष डिग्री, चौथे वर्ष डिग्री रिसर्च और पांचवे वर्ष परास्नातक की उपाधि मिलेगी। एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट बनेगा। इसके आधार पर मुक्त विश्वविद्यालय के छात्र किसी भी विश्वविद्यालय और कालेज में किसी भी वर्ष जाकर पढ़ाई कर सकेंगे। उनका क्रेडिट ट्रांसफर हो जाएगा।


भारतीय प्राचीन ऋषि मुनियों ने  कई भौतिक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया और कई आविष्कार किए। इन सिद्धांतों को पढ़कर पश्चिमी विज्ञानियों ने नाम कमाया। आधुनिक अणुविज्ञानी जान डाल्टन से काफी समय पूर्व ही महर्षि कणाद ने परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। न्यूटन के गति नियमों की खोज से पूर्व ही महर्षि कणाद ने वैशेषिक सूत्र में इसकी व्याख्या की थी। ऋषि अगस्त्य ने अगस्त्य संहिता में बिजली बनाने की विधि का वर्णन किया था। आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत देने से पूर्व वशिष्ठ ऋषि ने योग वशिष्ठ में काल-अंतराल यानी टाइम एंड स्पेस की व्याख्या की थी। अब यह मुक्त विश्वविद्यालय के विद्यार्थी पढ़ेंगे। – • प्रो. आशुतोष गुप्ता निदेशक