नई दिल्ली। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बढ़ती मांग के बीच केंद्र सरकार ने नई पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में सुधार के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में इसका एलान किया।
सीतारमण ने वित्त विधेयक 2023 पेश करते हुए कहा कि समिति पेंशन के मुद्दे पर विचार करेगी और सरकारी खजाने का ध्यान रखते हुए कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा करने वाला दृष्टिकोण विकसित करेगी। केंद्र का यह फैसला कई गैरभाजपा शासित राज्यों के महंगाई भत्ता (डीए) आधारित पुरानी पेंशन योजना को अपनाने के निर्णय के बीच आया है। कई राज्यों में कर्मचारी संगठनों ने भी पुरानी पेंशन लागू करने की मांग की है।
ओपीएस से सरकारी खजाने पर बोझ
■ ओपीएस के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50 फीसदी बतौर मासिक पेंशन मिलता है। डीए में वृद्धि के साथ राशि बढ़ती रहती है। सरकार की राय में राजकोष के लिए ओपीएस टिकाऊ नहीं है, सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ाती है।
■ एनपीएस व अटल पेंशन में प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) इस 4 मार्च तक 8.81 लाख करोड़ रुपये थी। जनवरी, 2004 से सशस्त्र बलों को छोड़कर नियुक्त सभी कर्मियों पर एनपीएस लागू है।
अटल पेंशन योजना 1 जून, 2015 को शुरू की गई थी। इसने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को आवश्यक प्रोत्साहन दिया। पेंशन बाजार को विनियमित और विकसित करने के लिए, सरकार ने 2003 में पीएफआरडीए बनाया।
इन राज्यों की संचित कोष वापस करने की मांग
राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब की सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू करने के फैसले के बारे में केंद्र को सूचित किया है। साथ में एनपीएस के तहत संचित कोष की वापसी का अनुरोध भी किया है।