नोडल प्रशिक्षक वीरेंद्र सिंह ने बताया कि जीवन कौशल वास्तव में सार्थक और सकारात्मक रूप से जीने की एक कला है, जो जीवन पर्यंत चलती रहती है। पारस्परिक संबंध कौशल में हम अपने घर पर स्कूल में पर्यावरण में किस माहौल में रह रहे हैं। उसी माहौल में सामंजस्य बैठाकर अपने कार्य करने के तरीकों को अपनाएं। नोडल प्रशिक्षक शोभा ने बच्चों को अनौपचारिक से लेकर शब्द भंडार तक पहुंचाने की जानकारी दी। उन्होंने प्रभावी संप्रेषण के बारे में भी जानकारी दी। प्रशिक्षक प्रीति रावत ने जीवन कौशल दर्पण मॉड्यूल पर आधारित खेल-खेल में बच्चों को शिक्षा देने के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि बच्चे पढ़ाई से दूर भागते हैं यदि उन्हें खेल-खेल में शिक्षा दी जाए तो उनका रुझान पढ़ाई की ओर बढ़ेगा।
इस मौके पर वरिष्ठ प्रवक्ता हर्ष दीपांकर तिवारी, आरेंद्र चौहान, रोहित कुमार, सोनल यादव, स्वेतांक, अभय कुमार आदि मौजूद रहे।