उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में भर्ती से संबंधित नहीं हो रहा काम, लाखों खर्च कर सिर्फ मुकदमे लड़ रहे आयोग



चयन बोर्ड वर्तमान में जितने पदों पर भर्ती नहीं कर रहा उससे अधिक मुकदमे लड़ रहा है। चयन बोर्ड ने सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) 2022 के कुल 4163 पदों पर भर्ती के लिए पिछले साल 16 जुलाई तक ऑनलाइन आवेदन लिए थे। हालांकि आवेदन के बाद से भर्ती में एक कदम आगे नहीं बढ़ सके हैं। जबकि वर्तमान में चयन बोर्ड तकरीबन पांच हजार मुकदमे लड़ रहा है। इन मुकदमों की पैरवी के लिए हर महीने वकीलों को 15 से 20 लाख रुपये फीस दी जाती है।

प्रयागराज। शहर के तीन में दो भर्ती आयोग बेरोजगारों को नौकरी देने की बजाय हर महीने लाखों रुपये खर्च कर सिर्फ मुकदमे लड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा और सदस्य रजनी त्रिपाठी का कार्यकाल छह फरवरी को पूरा होने के बाद कामकाज ठप हो गया है। सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या 51 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर भर्ती फंस गई है।

आयोग अपने सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन समेत अन्य मदों में हर महीने लगभग 20 लाख रुपये खर्च करता है। अब आयोग में बचे हुए दोनों सदस्य प्रो. राजनारायण और प्रो. विनोद कुमार, सचिव सत्य प्रकाश व उप सचिव डॉ. शिवजी मालवीय समेत पूरा स्टाफ मुकदमेबाजी में व्यस्त है। वर्तमान में आयोग तकरीबन 250 मुकदमे लड़ रहा है। कमोबेश यही स्थिति उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की भी है। चयन बोर्ड के सभी सदस्यों का कार्यकाल पिछले साल अप्रैल में पूरा होने के बाद से कोई खास काम नहीं हो रहा। चयन बोर्ड ने नवंबर में प्रधानाचार्य भर्ती 2013 का परिणाम घोषित किया था लेकिन वह भी मुकदमेबाजी में फंसा है।