परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में एक नंबर से पास अभ्यर्थियों की नियुक्ति एक बार फिर से फंस गई है। आरक्षण विवाद पर 13 मार्च को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार को 69000 भर्ती की चयन सूची पर पुनर्विचार के आदेश दिए थे। इस फैसले के बाद एक नंबर से पास और नियुक्ति की मांग कर रहे अभ्यर्थियों को झटका लगा है।
इस भर्ती के लिए छह जनवरी 2019 को आयोजित लिखित परीक्षा के एक प्रश्न के चारों विकल्प गलत थे। लेकिन 12 मई 2020 को घोषित परिणाम में परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के विशेषज्ञों ने एक विकल्प को सही मान लिया था। इसके खिलाफ अभ्यर्थियों की ओर से मई 2020 में दाखिल याचिका में हाईकोर्ट ने 25 अगस्त 2021 को उन अभ्यर्थियों का परिणाम घोषित करते हुए नियुक्ति देने का आदेश दिया था, जिन्होंने इस प्रश्न को हल करने की कोशिश की थी और एक अंक से सफल हो रहे थे।
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार की ओर से दायर स्पेशल अपील को सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर 2022 को खारिज कर दिया था। इसके बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने उन अभ्यर्थियों से 10 से 19 जनवरी तक ऑनलाइन प्रत्यावेदन लिए थे जिन्होंने 25 अगस्त 2021 तक हाईकोर्ट में याचिकाएं या अपील की थी और एक नंबर से पास हो रहे थे। निर्धारित अवधि में 3192 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। इन अभ्यर्थियों के चयन की प्रक्रिया चल ही रही थी कि हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के 13 मार्च के आदेश के बाद सब कुछ ठप हो गया।
जिन्हें स्कूलों में पढ़ाना चाहिए था, वो खा रहे ठोकरें
एक नंबर से पास हो रहे दुर्गेश शुक्ला, राम मिश्रा, रोहित शुक्ला, प्रसून दीक्षित, विकास तिवारी आदि का कहना है कि नौ नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पांच महीने बाद भी एक नंबर से सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति से वंचित रखा गया है। जिन शिक्षकों को विद्यालय में पढ़ाना चाहिए था, वो दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है।