एससी-एसटी एक्ट में दाखिल हो सकती है अग्रिम जमानत
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है की एससी-एसटी एक्ट के तहत अपराध के लिए अग्रिम जमानत पर विचार किया जा सकता है, बशर्ते प्रथमदृष्टया इस एक्ट के तहत अपराध होना साबित न होता हो।
कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत सिर्फ स्पेशल कोर्ट को ही जमानत पर विचार करने का अधिकार है। एक्ट की धारा 14 के तहत सिर्फ स्पेशल कोर्ट ही एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले पर विचार कर सकती है जबकि धारा 14 ए में दिए गए जमानत का आशय अग्रिम जमानत से भी है। इसी प्रकार कहना है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत अग्रिम जमानत अर्जी सीआरपीसी की धारा 438 के तहत विचारणीय नहीं है बल्कि हाईकोर्ट में एससी-एसटी एक्ट की धारा 14 ए में अपील दाखिल की जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत सिर्फ स्पेशल कोर्ट को ही जमानत पर विचार करने का अधिकार है। एक्ट की धारा 14 के तहत सिर्फ स्पेशल कोर्ट ही एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले पर विचार कर सकती है जबकि धारा 14 ए में दिए गए जमानत का आशय अग्रिम जमानत से भी है। इसी प्रकार कहना है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत अग्रिम जमानत अर्जी सीआरपीसी की धारा 438 के तहत विचारणीय नहीं है बल्कि हाईकोर्ट में एससी-एसटी एक्ट की धारा 14 ए में अपील दाखिल की जा सकती है।
यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने कैलाश, गायत्री देवी एवं सुनील दत्त शर्मा की अग्रिम जमानत अर्जियों पर एकसाथ सुनवाई करते हुए दिया है। याचियों के अधिवक्ताओं ने पृथ्वीराज चौहान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि एससी-एसटी एक्ट के अपराध में अग्रिम जमानत पोषणीय है।