पीसीएस मेंस में बदलाव से आसान होगी यूपी के अभ्यर्थियों की राह, सिविल सेवा की तैयारी करने वाले प्रतियोगियों की सफलता दर में होगी कमी, ढाई दशक में पीसीएस में हुए अहम बदलाव


पीसीएस मेंस में बदलाव से आसान होगी यूपी के अभ्यर्थियों की राह


प्रयागराज, संवाददाता। उत्तर प्रदेश सरकार ने पीसीएस मेंस परीक्षा से वैकल्पिक विषय की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। इसके स्थान पर उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए सामान्य ज्ञान के दो प्रश्नपत्र जोड़े गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से प्रदेश के प्रतियोगी छात्रों की पीसीएस बनने की राह पहले की तुलना में आसान हो जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी आधारित दो नए प्रश्न पत्र होने के बाद संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा यानी आईएएस देने वाले अभ्यर्थियों की मुश्किलें काफी बढ़ जाएंगी।

यूपी स्पेशल की तैयारी करनी होगी अभी तक पीसीएस और सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में एक-एक वैकल्पिक विषय की परीक्षा होती थी। एक तरीके से दोनों का पाठ्यक्रम और पैटर्न लगभग एक समान था। इस कारण सिविल सेवा परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंचने वाले छात्र पीसीएस में आसानी से सफलता प्राप्त कर लेते थे। लेकिन अब उन्हें यूपी स्पेशल की अलग से तैयारी करनी होगी। सिविल सेवा में इंटरव्यू तक पहुंचने वाले छात्र यूपी स्पेशल की तैयारी की अपेक्षा सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी को ज्यादा महत्व देंगे इसलिए पीसीएस में ऐसे छात्रों की संख्या कम होगी, जिसका सीधा फायदा उन परीक्षार्थियों को होगा, जो सिर्फ पीसीएस की ही तैयारी करते हैं।

विशेषज्ञों को करना होगा बड़ा बदलाव

इस बदलाव के बाद अब कोचिंग आदि में पढ़ाने वाले विशेषज्ञों को पढ़ाने का तरीका बदलना होगा। पीसीएस मेंस में अब जीएस के ज्यादातर प्रश्न ऐसे पूछे जाते हैं, जो किसी एक विषय से संबंधित नहीं होते हैं। मसलन 2017 में एक प्रश्न पूछा गया था कि लैंगिग बजट से आप क्या समझते हैं और यह महिला सशक्तीकरण कैसे लाभदायक है ? यह प्रश्न तीन विषयों से जुड़ा है, लैंगिग बजट अर्थशास्त्रत्त्, महिला सशक्तीकरण सोसाइटी और यह कैसे लाभदायक है यह हिस्सा करेंट का हो गया। स्पष्ट है कि इस प्रश्न का उत्तर किसी एक विषय विशेषज्ञ के बस की बात नहीं है, इसका सही उत्तर वही दे सकेगा, जिसे कई विषयों का ज्ञान होगा।

दूसरे राज्यों के छात्र हो जाएंगे कम

सिविल सेवा कोच नवीन पंकज कहते हैं कि आईएएस-पीसीएस का पैटर्न लगभग एक समान होने से दूसरे राज्यों के प्रतियोगी छात्रों की सफलता का ग्राफ अपेक्षाकृत बढ़ गया है। पीसीएस के पिछले परिणामों को देखें तो टॉप-100 में न केवल हरियाणा, दिल्ली आदि राज्यों के प्रतियोगी की संख्या बढ़ी है बल्कि वे टॉप भी करने लगे हैं लेकिन यूपी स्पेशल होने से अब इस पर भी लगाम लगेगी क्योंकि दूसरे राज्यों के प्रतियोगी छात्रों की तुलना में यूपी के छात्र अपने राज्य को बेहतर समझते हैं।

अब स्केलिंग से मिलेगी निजात

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय कहते हैं कि इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे स्केलिंग/मॉडरेशन से निजात मिल जाएगी। स्केलिंग में ज्यादा नंबर पाने वालों का कम और कम पाने वालों का ज्यादा होने का सांप-सीढ़ी का जो खेल चलता था उससे प्रतियोगियों को निजात मिल जाएगी। प्रतियोगी असफल होने के बाद भी मायूस रहते थे क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि उनकी असफलता के पीछे वजह स्केलिंग/मॉडरेशन ही है। अब परिणाम पहले की तुलना में ज्यादा फेयर होगा।

वैकल्पिक विषय समाप्त होना पूर्णत छात्रों के हित में है। इससे भाषा का भेदभाव और स्केलिंग समाप्त होगी। सभी पृष्ठभूमि के छात्र एक समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे।

मो. रिजवी, प्रतियोगी छात्र

आयोग की स्केलिंग प्रकिया से हतोत्साहित हिंदी माध्यम व मानविकी विषयों के छात्रों के लिए सरकार द्वारा विषय हटाने का निर्णय बहुत ही तार्किक और उत्साहवर्द्धक साबित होगा। ओम पांडेय, प्रतियोगी छात्र

और बेहतर होगी प्रशासनिक सेवा

यूपी स्पेशल आने से प्रशासनिक सेवा में भी सुधार होगा। सिविल सेवा कोच नवीन पंकज कहते हैं कि एसडीएम, डिप्टी एसपी या पीसीएस के किसी अन्य पद पर चयनित होने वाले अभ्यर्थियों में प्रदेश के प्रति समझ और बेहतर होगी, जिसका फायदा उन्हें योजनाओं को क्रियान्वयन के साथ ही कानून व्यवस्था और राजस्व की स्थिति बेहतर करने में मिलेगा। कुल मिलाकर ये अफसर परंपरागत विषय की तैयारी कर अफसर बने प्रतियोगियों से बेहतर होंगे।

ढाई दशक में पीसीएस में हुए अहम बदलाव

● 1990 में शुरू हुई प्री परीक्षा, 1996 में स्केलिंग लागू।

● 2002 में पीसीएस मेंस जीएस का दूसरा पेपर आब्जेक्टिव हुआ।

● 2003 में प्री और मेंस के पेपर में यूपी विशेष शामिल किया गया।

● 2005 में मेंस जीएस के दोनों प्रश्न ऑब्जेक्टिव हो गए।

● 2012 में सीसैट की व्यवस्था लागू।

● 2015 में प्री में सीसैट को क्वालिफाइंग किया गया।

● 2018 में दो के स्थान पर एक विषय व जीएस के चार सब्जेक्टिव पेपर।

● 2018 में इंटरव्यू का अंक 200 के बजाय 100 किया गया।

● 2019 में मेंस के लिए सफल छात्रों की संख्या 18 से 13 गुना हुई।

● 2019 में इंटरव्यू के लिए सफल छात्र तीन के बजाए दो गुना किए गए।

● 2019 में मेंस से रक्षा अध्ययन सहित पांच विषय हटा दिए गए।

● 2021 में मेंस के लिए सफल छात्रों की संख्या 13 से 15 गुना की गई।

● 2021 में इंटरव्यू के लिए सफल छात्रों की संख्या दो से तीन गुना हुई।

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