आरक्षण के बिना निकाय चुनाव के आदेश पर रोक, अप्रैल या मई में चुनाव


उत्तर प्रदेश सरकार को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण के बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था।


मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर संज्ञान लिया। पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक आयोग को 31 मार्च, 2023 (तीन माह) तक स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा।

शीर्ष अदालत इससे पहले शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर उसकी मसौदा अधिसूचना को रद्द करने और उसे अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के बिना चुनाव कराने का निर्देश देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पांच दिसंबर की मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए आदेश दिया था कि राज्य सरकार चुनावों को तत्काल अधिसूचित करे क्योंकि कई नगरपालिकाओं का कार्यकाल 31 जनवरी 2023 तक समाप्त हो जाएगा। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को ओबीसी की सीटें सामान्य वर्ग को स्थानांतरित करने के बाद चुनाव का निर्देश दिया था।


आरक्षण के बाद ही चुनाव
लखनऊ। नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि ओबीसी समेत सभी वर्गों को आरक्षण देकर ही राज्य सरकार निकाय चुनाव कराएगी। ग्लोबल सिटी (जी-सिटी) के मापदंडों पर खरा उतरने के लिए अभी से अभियान शुरू करें।

योगी ने स्वागत किया
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में दिए गए आदेश का हम स्वागत करते हैं। ओबीसी आरक्षण लागू करते हुए सरकार चुनाव संपन्न कराएगी।

कार्यकाल खत्म होने पर समिति देखेगी काम

लखनऊ। निकायों में मेयर और चेयरमैन का कार्यकाल खत्म होने के बाद त्रिस्तरीय समिति कामकाज देखेगी। समिति नीतिगत फैसला नहीं कर सकेगी वह केवल दैनिक काम करेगी। प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने बुधवार को इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने 12 दिसंबर को प्रशासक व्यवस्था को लेकर जारी आदेश को निरस्त कर दिया है। नया शासनादेश जारी करते हुए प्रमुख सचिव ने कहा है कि 27 दिसंबर 2022 को जारी हाईकोर्ट के आदेश का कड़ाई से पालन किया जाएगा। नगर आयुक्त,वित्त नियंत्रक व पालिका परिषद और नगर पंचायतों में डीएम के साथ अधिशासी अधिकारी की देखरेख में समिति बनायी जाएगी।