मंगलवार को शिक्षा निदेशालय लखनऊ ट्रांसफर होने के विरोध में प्रदर्शन करते कर्मचारी ।
शिक्षा का केंद्र कहे जाने वाले प्रयागराज में प्रतियोगी छात्रों की संख्या अधिक है। भर्तियों देरी व अनियमितता की शिकायत लेकर वह निदेशालय में शिकायत दर्ज कराते थे लेकिन लखनऊ स्थानांतरण होने पर उन्हें लखनऊ जाने के लिए किराया, खाने, पीने का अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। वहीं, निदेशालय के बगल में दुकानें लगा कई परिवार जीविकोपार्जन कर रहे हैं। उन पर भी इसका असर पड़ेगा।
काली पट्टी बांधकर की नारेबाजी
माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने मंगलवार को बालसन चौराहे पर बांह पर काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। संघ के संरक्षक डॉ. हरिप्रकाश यादव ने कहा कि इस मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों का घेराव किया जाएगा और व्यापक स्तर पर आंदोलन होगा। उपेंद्र वर्मा ने कहा कि शासन स्तर के अधिकारी प्रयागराज की धरोहरों को समाप्त करने का कुचक्र रच रहे हैं। प्रदर्शन में मोहम्मद जावेद, देवराज सिंह, अरुण सिंह, दिनेश कुमार, विनोद सिंह आदि शामिल रहे।
प्रयागराज, संवाददाता। शैक्षिक नगरी प्रयागराज से उच्च शिक्षा निदेशालय को लखनऊ स्थानांतरित करने के प्रयास का मामला तूल पकड़ने लगा है। न सिर्फ निदेशालय के अधिकारी व कर्मचारियों में बल्कि शहर के प्रबुद्धजन भी इस खबर से आहत व नाराज हैं।
निदेशालय कर्मियों ने मंगलवार को धरना-प्रदर्शन किया। नारेबाजी कर आंदोलन की चेतावनी दी। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ ने बैठक की। प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एवं निदेशक उच्च शिक्षा को पत्र लिखकर निदेशालय को प्रयागराज में ही रखने की मांग की।
संघ के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार और मंत्री प्रदीप कुमार सिंह की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि वर्ष 2009 में भी ऐसा ही प्रयास किया गया था, तब विरोध होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव ने मामले में हस्तक्षेप कर स्पष्ट किया था कि निदेशालय प्रयागराज में ही रहेगा। कर्मचारियों का कहना है कि निदेशालय को लखनऊ में प्रतिस्थापित किए जाने का आदेश तत्काल निरस्त नहीं किया गया तो आंदोलन के लिए बाध्य होंगे