शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार ही भत्ता दें।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि निजी स्कूलों को अपने शिक्षकों/ कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन व भत्ता देना होगा। हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने इस फैसले में यह भी कहा है कि वेतनमद का बकाया रकम 7वें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के दिन से देना होगी।


जस्टिस ज्योति सिंह ने निजी स्कूल द्वारा नौकरी से निकाले गए मुकेश कुमार वर्मा की याचिका पर यह फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने फैसले में स्कूल प्रबंधन की उन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें स्कूल की खराब वित्तीय हालात का हवाला देकर 7वें वेतन आयोग की सिफारिश लागू नहीं करने की छूट मांगी थी।

हाईकोर्ट ने कहा कि तथ्यों से साफ है कि स्कूल के पास पर्याप्त धन है और वह अपने शिक्षकों/ कर्मचारियों को कानून के तहत 7वें वेतन आयोग की सिफारिश का लाभ देना होगा। यह टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने लॉयंस पब्लिक स्कूल को दिल्ली स्कूल एजूकेशन एक्ट की धारा 10 (1) के तहत याचिकाकर्ता वर्मा का 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन व भत्ता का निर्धारण करने और बकाया का भुगतान करने का आदेश दिया है।

स्कूल को सरकार के निर्देशों और वैधानिक दायित्वों का पालन नहीं करने की अपनी अड़ियलता का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर कहा कि याचिका दाखिल करने के दिन से तीन साल का नहीं बल्कि वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के दिन से बकाया देना होगा। हाईकोर्ट ने वर्मा की ओर से वकील अनुज अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए फैसला दिया है।

स्कूल के पास 11 करोड़ की अतिरिक्त रकम

इस मामले में स्कूल प्रबंधन ने कहा कि उसकी वित्तीय हालत खराब है, लेकिन शिक्षा निदेशालय ने हाईकोर्ट को बताया कि जांच में पाया गया है कि स्कूल के पास अगल-अलग बैंक खातों में 11 करोड़ का फिक्स डिपॉजिट है और 80 लाख रुपये बचत खाते में हैं।

यह है मामला

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के अनुसार, मुकेश कुमार वर्मा ने 1994 में लॉयंस पब्लिक स्कूल में बतौर टीजीटी पदभार संभाला था। इसके बाद उन्हें 2004 में पीजीटी के पद पर पदोन्नति दे दी। वर्मा की ओर से वकील अनुज का आरोप है कि जब उनके मुवक्किल ने 7वें वेतन आयोग के अनुसार वेतन व भत्ते की मांग की तो स्कूल प्रबंधन ने पिछले साल 29 मार्च को उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। याचिका में 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन भत्ता की मांग की थी।