मऊ। जिले के परिषदीय विद्यालयों के कंपोजिट ग्रांट में फर्जीवाड़ा करना प्रधानाध्यापकों के लिए आसान नहीं होगा। शासन ने इसके खर्च करने के नियम में बदलाव किया है।
यह धनराशि खर्च करने से पहले प्रधानाध्यापक को कार्ययोजना बनानी होगी। जीएसटी बिल पोर्टल पर अपलोड करना होगा। उसके बाद अधिकारियों की संस्तुति के बाद यह धनराशि दुकानदार के बैंक खाते में सीधे भेजी जाएगी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किया है। साथ ही खर्च का पूरा ब्योरा स्कूल की दीवारों पर लिखा जाएगा।
जिले में 1208 परिषदीय विद्यालय हैं। जिले के परिषदीय स्कूलों के रखरखाव और रंगाई-पुताई सहित अन्य कार्य के लिए प्रत्येक वर्ष शासन से प्रबंध समितियों के खाते में तय धनराशि भेजी जाती है।
अधिकांश विद्यालयों के प्रधानाध्यापक यह धनराशि मनमाने तरीके से निकालकर खर्च करते हैं। समय सीमा के बाद भी खर्च करते हैं। इससे स्कूलों की दशा जीर्ण-शीर्ण बनी रह जाती है।
प्रधानाध्यापकों की मनमानी पर रोक के लिए शासन ने यह धनराशि खर्च करने का नियम संशोधित कर ऑनलाइन कर दिया है। अब कंपोजिट ग्रांट खर्च करने से पहले प्रधानाध्यापक को मद बताना होगा। इसके बाद मद की कार्ययोजना तैयार कर दुकानदार से जीएसटी बिल लेकर पोटल पर अपलोड करना होगा।
कार्ययोजना की संस्तुति के बाद प्रधानाध्यापक के मोबाइल पर ओटीपी मिलेगा। इसी ओटीपी से संबंधित दुकानदार के बैंक खाते में कार्ययोजना तैयार कर किसी दुकानदार से जीएसटी बिल लेकर पोर्टल पर अपलोड करना होगा। तब जाकर कहीं भुगतान हो सकेगा, जिसके चलते कंपोजिट ग्रांट में फर्जीवाड़े में भी रोका लगाई जा सकेगी।
परिषदीय विद्यालयों के कंपोजिट ग्रांट की धनराशि के खर्च का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड करना होगा य वर्ष में धनराशि खर्च न करने की स्थिति में बजट शून्य हो जाएगा- मनोज कुमार तिवारी, सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा
दीवारों पर दर्ज रहेगा हिसाब मऊ जिले के परिषदीय विद्यालयों को मिलने वाली कंपोजिट ग्रांट के मामले में शासन की तरफ से जारी निर्देश में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि विद्यालय में कराए जा रहे कार्यों का प्रचार-प्रसार भी कराना होगा। साथ ही साथ स्कूलों की दीवार पर कंपोजिट ग्रांट राशि खर्च करने का ब्योरा भी लिखवाना होगा। स्कूलों की दीवारों पर पिछले तीन वर्षों का पूरा हिसाब किताब लिखवाना होगा।