प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य के अधिकारी साधारण अंग्रेजी भाषा में भी कोर्ट के आदेश नहीं समझ पाते। एसपी शाहजहांपुर से कई मुद्दों पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा गया, किंतु बिना कोई कारण स्पष्ट किए एसपी ने हलफनामा क्यों नहीं दिया। निगोही थाने के पुलिस उपनिरीक्षक वेदपाल सिंह का हलफनामा तैयार कर सरकार ने दाखिल कर दिया। यह भी स्पष्ट नहीं कि उन्हें किस अधिकारी ने सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल करने के लिए अधिकृत किया है।
कोर्ट ने हलफनामा तैयार करने में लापरवाही पर शाहजहांपुर के न्यायाधीश को नोटरी अधिवक्ता बीके सिंह की जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया। हलफनामे के पहले पैराग्राफ में लिखा है कि एसएसपी गाजियाबाद और एसपी शाहजहांपुर का हलफनामा सत्यापित किया गया है। हलफनामा पैराग्राफ भी खाली छोड़ दिया गया है। इसे कोर्ट ने घोर लापरवाही माना। इसलिए नोटरी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
साथ ही अधिकारियों तथा अपर शासकीय अधिवक्ता को हलफनामा तैयार करने में घोर लापरवाही के लिए स्पष्टीकरण के साथ प्रमुख सचिव गृह तथा प्रमुख सचिव विधि एवं विधि परामर्शी से भी व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि प्रदेश के अधिकारी तथा सरकारी वकील सही तरीके से क्यों नहीं काम कर रहे हैं। व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल नहीं हुआ तो कोर्ट दोनों अधिकारियों को तलब करेगी।
कोर्ट ने इस बारे में उचित कार्रवाई करने के लिए आदेश की प्रति कानून मंत्री को भेजने का भी निर्देश दिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ही कानून मंत्री हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने राम सेवक की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा, अधिकारियों की लापरवाही से अक्सर त्रुटिपूर्ण हलफनामे दाखिल होते हैं। सरकारी अधिवक्ता सही हलफनामा दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगते हैं, जिससे कोर्ट का अमूल्य समय बर्बाद होता है। अर्जी की सुनवाई 22 दिसंबर को होगी। ब्यूरो