नई दिल्ली। केंद्र सरकार की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को करीब तीन दशक बाद भी उसके आरक्षण का पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है। संविधान के तहत ओबीसी को 27 कोटा मिला है लेकिन केंद्र की नौकरियों में ओबीसी की हिस्सेदारी सिर्फ 20 हो पाई है।
कार्मिक मंत्रालय की ओर से हाल में जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एक जनवरी 2019 को केंद्र सरकार के 55 मंत्रालयों और विभागों में ओबीसी कर्मचारियों की संख्या महज 20.43 फीसदी थी। यह उन्हें मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण की तुलना में कम है।
एससी-एसटी के मामले में स्थिति अलग अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी केंद्रीय नौकरियों में 17.39 है, जबकि उन्हें 15 आरक्षण प्राप्त है। इसी प्रकार अनुसचित जनजाति को 7.5 फीसदी आरक्षण प्राप्त है तथा उनकी हिस्सेदारी 7.64 दर्ज की गई है लेकिन असल दिक्कत ओबीसी को लेकर है।
केंद्र सरकार ओबीसी के खाली पदों पर भर्ती के लिए समय-समय पर विशेष अभियान शुरू करती है लेकिन उसके बाद भी खाली पद बने हुए हैं।
जानकारों के अनुसार, ओबीसी आरक्षण का अन्य दो श्रेणियों के मुकाबले काफी देर से 1993 में शुरू होना एक वजह हो सकता है। हालांकि तीन दशक काफी होते हैं। दूसरा कारण,खेती पर निर्भरता ज्यादा होने के कारण नौकरी के लिए योग्य उम्मीदवारों की कमी होना है।