बलरामपुर। नीति आयोग ने शिक्षा व्यवस्था को हाईटेक बनाने के लिए विशेष पहल की है। बलरामपुर समेत प्रदेश केे चार आकांक्षी जनपदों के परिषदीय स्कूलों में बच्चों को किताबों की जगह टैबलेट से पढ़ाने की तैयारी है। प्रत्येक जिले में 70-70 कंपोजिट स्कूलों में विशेष स्मार्ट क्लास बनाई जाएगी।
प्रत्येक स्कूल को 50-50 टैबलेट दिए जाएंगे। इसमें बच्चों के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम की विषयवस्तु चलचित्र (वीडियो), एनिमेशन व संगीत के रूप में उपलब्ध रहेगी। कक्षा तीन से आठवीं तक के बच्चे अपने विशेष पंजीकरण (विशेष आईडी) से लॉगिन कर पढ़ाई करेंगे। आधुनिक सुविधाओं से लैस टैबलेट इंटरनेट से कनेक्ट होते ही पढ़ाई से जुड़ी नई-नई जानकारियों को खुद अपडेट कर देगा। जिससे बच्चों को पढ़ाई के लिए नित नए-नए वीडियो क्लिप व ऑडियो मिल सकें।
जिले के 70 कंपोजिट स्कूलों को इस योजना से आच्छादित किया जाना है। इन स्कूलों को 50-50 टैबलेट दिए जाएंगे। प्रत्येक टैबलेट से उस स्कूल के कक्षा तीन से आठवीं तक के छह बच्चे बारी-बारी पढ़ेंगे। इस तरह 70 कंपोजिट स्कूलों में पंजीकृत कक्षा तीन से आठवीं तक के करीब 21 हजार (प्रत्येक विद्यालय में करीब 300) बच्चे टैबलेट से पढ़ाई कर सकेंगे। इसको लेकर स्कूलों के चयन की कवायद की जा रही है।
नई शिक्षा नीति में सरकार सभी स्कूलों में डिजिटल एजूकेशन को बढ़ावा देने जा रही है। इसकी नजीर बलरामपुर के 850 स्कूलों में दिख रही है। यहां 650 परिषदीय स्कूलों की स्मार्ट क्लास में प्रोजेक्टर पर पढ़ाई हो रही है। साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई के लिए हस्ले फाउंडेशन ने 100 स्कूलों में एक-एक टैबलेट बांटा है। 100 स्कूलों में स्मार्ट टीवी भी है।
राष्ट्रीय आईसीटी पुरस्कार से सम्मानित एसआरजी प्रतिमा सिंह बताती हैं कि छोटे बच्चे किताबों से दूर भागते हैं। शुरूआती स्तर पर उन्हें किताबें आकर्षक (रुचिकर) नहीं लगतीं। ऐसे में किताब से बच्चों के सीखने (पढ़ाई) की गति धीमी रहती है जबकि मोबाइल को बच्चे बड़े ही चाव से देखते हैं। नीति आयोग की ये पहल सराहनीय है। इससे बच्चों का सीखना आसान हो जाएगा। उनकी सीखने की क्षमता (लर्निंग) भी सुधरेगी।
टैबलेट योजना के लिए 70 कंपोजिट स्कूलों की चयन प्रक्रिया चल रही है। इसके पूरा होते ही संबंधित स्कूल व उसमें पंजीकृत बच्चों की संख्या नीति आयोग को भेज दी जाएगी।
- कल्पना देवी, बीएसए बलरामपुर