अपनी संस्कृति से जितना प्यार करेंगे उतना ही आगे बढ़ेंगे। ऐसा मत सोचिए कि कोट-टाई पहन कर जाएंगे तो लोग सम्मान देंगे। धोती-कुर्ता पहन कर जांएगे तो अपमान करेंगे। हमें अपनी भाषा, भेषभूषा और विरासत से प्रेम करना चाहिए। बड़े स्कूलों में पढ़ाने से बच्चे बड़े नहीं बनते। लेकिन बच्चे रामायण का नियमित अध्ययन करेंगे तो भगवान राम की तरह जरूर हो जाएंगे। अगर आप गलत लोगों की संगत में रहेंगे तो विचारधारा दूषित हो जाएगी। अच्छे लोगों की संगत में रहने से आचरण सीखने का अवसर प्राप्त होता है।
यह विचार अलोपीबाग स्थित सरदार पटेल सेवा संस्थान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में रविवार को कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां भगवान राम ने अपनी सौतेली मां के कहने पर राजपाठ त्याग दिया। वहीं आज-कल के बच्चे अपनी सगी मां की बात नहीं मानते हैं। गलत लोगों की संगत से संस्कार खत्म हो रहा है। ठाकुर ने कहा कि आज हमारे देश में ऐसा दौर है जिसे भी कुछ बनना हो वह महात्माओं गाली देता है। वे समझते हैं कि बदनामी में नाम होगा। लेकिन ऐसे नाम से तो बेनाम रहना अच्छा है। संसार मुझे जाने ये महत्वपूर्ण नहीं है, संसार बनाने वाले की नजरों में मैं न गिरूं यह महत्वपूर्ण है। भगवान मनुष्य को यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं भागवत कथा का श्रवण कीजिए। भागवत कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। कथा से पूर्व मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति जेके ठाकर, सुशील मिश्रा, अपर जिला जज बजरंग सिंह, आराधना ज्ञानेंद्र सिंह आदि ने व्यास पीठ का आरती पूजन किया।