शुरुआती शिक्षा सुधर जाए तो कायाकल्प हो जाएगा: NGO


बीस अक्तूबर 2022 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर फाउंडेशनल स्टेज (एनसीएफ-एफएस) जारी कर दिया। यह राष्ट्रीय पाठॺचर्या ढांचा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के सबसे महत्वपूर्ण आयामों में से एक है और हमारे बच्चों की शिक्षा व उनके समग्र कल्याण पर इसका गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है। यह बुनियादी पाठॺचर्या क्या है और महत्वपूर्ण क्यों है?


नई शिक्षा नीति हमारी स्कूली शिक्षा व्यवस्था को फिर से तैयार कर रही है। इसके तहत 4-चरण (5+3+3+4) वाली पाठॺचर्या और शैक्षणिक संरचना बनाई गई है। 5 का मतलब है शिक्षा के शुरुआती पांच वर्ष, मतलब तीन से आठ वर्ष की आयु तक की शिक्षा। इसे मूलभूत चरण कहा जाता है। इसके बाद आठ से 11 (प्रारंभिक चरण), 11 से 14 (मध्य चरण) और 14 से 18 (माध्यमिक चरण) का प्रावधान है। ये चार चरण स्कूली शिक्षा को खड़ा करते हैं; बच्चों का शारीरिक-मानसिक, सामाजिक व भावनात्मक विकास करते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो बच्चे जैसे-जैसे बडे़ होते हैं, यह देखना जरूरी होता है कि वे क्या सीख सकते हैं, किस चरण में सबसे अच्छे तरीके से क्या सिखाया जा सकता है? 4-चरण की शिक्षा संरचना वैज्ञानिक समझ पर आधारित है।

इनमें नींव के चरण का खास महत्व है। यह चरण बच्चे के जीवन के पहले आठ वर्षों के गहरे और दीर्घकालिक प्रभावों से प्रेरित होता है। शोध से पता चला है कि जीवन के ये वर्ष व्यक्ति के समग्र विकास में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इन वर्षों में दिमा का विकास सबसे तेजी से होता है। तंत्रिका विज्ञान अनुसंधान बताता है कि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क का 85 प्रतिशत से अधिक विकास छह वर्ष की आयु तक हो जाता है। इसलिए ‘अर्ली चाइल्डहुड केयर ऐंड एजुकेशन’ (ईसीसीई) का सभी समाजों में केंद्रीय महत्व है। नई शिक्षा नीति हमारे सभी बच्चों को उच्च गुणवत्ता, न्यायसंगत ईसीसीई प्रदान करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तंत्रों में से एक है। तीन वर्ष की आयु तक के बच्चों की देखभाल ज्यादातर घर पर ही की जाती है; वैसे, संस्थागत शैक्षणिक समावेश तीन साल की उम्र से शुरू होता है। मतलब बच्चे समूह में पढ़ना शुरू करते हैं। इसमें प्री-स्कूल, किंडरगार्टन, नर्सरी, आंगनबाड़ी आदि शामिल हैं।

एक राष्ट्रीय पाठॺचर्या की रूपरेखा देश भर में प्रासंगिक व प्रभावी पाठॺक्रम के विकास का मार्गदर्शन तो करती ही है, जरूरी सामंजस्य को भी साकार करती है। गौर कीजिए, तीन से आठ वर्ष की आयु के बच्चों के लिए एकीकृत पाठॺक्रम ढांचा हमें विकास के सभी पक्षों, यानी शारीरिक, सामाजिक-भावनात्मक-नैतिक व भाषा के साथ-साथ सांस्कृतिक पहलुओं को भी अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करने में सक्षम करेगा।

दूसरा, एनसीएफ-एफएस में अनुशंसित शैक्षणिक दृष्टिकोण गतिविधि व खेल आधारित है। इसमें वार्तालाप, कहानियां, गीत, तुकबंदी, संगीत, कला, शिल्प, इनडोर व आउटडोर खेल, क्षेत्रों की यात्राएं, प्रकृति के बीच रहना, खिलौनों व अन्य चीजों के साथ खेलना शामिल है।

तीसरा, यह पाठॺचर्या बच्चे के संदर्भ में शिक्षण और सीखने की जरूरत पर बल देती है। इसमें बच्चे की घरेलू भाषा का उपयोग, स्थानीय व पारंपरिक कहानियां, तुकबंदी, गीत, सामग्री और खेल जैसी सामग्री का उपयोग शामिल है। चौथा, आधारभूत चरण में मूल्यांकन भी जरूरी है, ताकि बच्चों को समर्थवान बनाया जाए। इस चरण में शिल्प, परियोजना का विश्लेषण जरूरी है, ताकि बच्चों का सही विकास किया जा सके।

पांचवां, यह एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर केंद्रित है, जो इसे पूरा करने के लिए जरूरी है। इसमें शिक्षकों को सशक्त बनाना और एक सहायक शैक्षणिक, प्रशासनिक सहायता व्यवस्था को सक्रिय व सक्षम बनाना शामिल है। यह प्रत्येक संस्थान में पर्याप्त बुनियादी ढांचे और सीखने के तमाम संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत पर भी बल देता है।

अंत में, बुनियादी पाठॺचर्या शिक्षकों को भी संबोधित है। यह विविध संदर्भों से वास्तविक जीवन के उदाहरणों के साथ कक्षा में कराए जाने वाले अभ्यासों पर केंद्रित है। यह शिक्षकों को यथार्थवादी मार्ग प्रदान करता है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)