दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक फैसले में कहा है कि निजी स्कूलों के शिक्षकों को भी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के बराबर वेतन मिलना चाहिए। उन्हें भते पाने का हक है। आइए जानते हैं, निजी स्कूलों के शिक्षकों को क्या-क्या सुविधाएं पाने का अधिकार है।
सरकारी स्कूलों की तरह वेतन पाने का अधिकार
शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत निजी स्कूलों के शिक्षकों के लिए वही योग्यता निर्धारित है जो सरकारी स्कूलों के लिए है। इसके आधार पर न सिर्फ उच्च न्यायालय बल्कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने कई फैसलों में कहा है कि निजी स्कूल के शिक्षक भी सरकारी स्कूलों में कार्यरत अपने समकक्षों के बराबर वेतन व भत्ता पाने के हकदार हैं।
मेडिकल का लाभ
निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक चिकित्सा सुविधा पाने का भी हकदार है। चिकित्सा सुविधा का लाभ या तो राज्य सरकार द्वारा कानून के जरिए देने का प्रावधान है, अन्यथा संबंधित स्कूल को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के जरिए सुविधा का लाभ देने का प्रावधान है। केंद्र ने ईएसआईसी सभी पात्र संस्थाओं के लिए इसे अनिवार्य किया है। इसमें निजी स्कूल भी शामिल हैं।
स्कूल को देना होगा पीएफ
निजी स्कूलों के शिक्षकों को भविष्य निधि (पीएफ) पाने का अधिकार है। कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 में प्रावधान है कि पीएफ योजना सभी शैक्षणिक संस्थानों पर लागू होती है। स्कूल पीएफ न दें तो शिक्षक कानूनी उपाय तलाश सकते हैं।
नौकरी से निकालने से पहले जांच जरूरी
कोई भी निजी स्कूल सीधे तौर पर अपने शिक्षकों को नौकरी से नहीं निकाल सकते। इसके लिए प्रबंधन को उन प्रक्रियाओं का पालन करने का प्रावधान है, जो किसी सरकारी स्कूल के शिक्षकों के लिए है।
ग्रेच्युटी भी पा सकते हैं
निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक पीएफ की तरह ग्रेच्युटी पाने का भी अधिकार रखता है। ग्रेच्युटी नियोक्ता द्वारा एक कर्मचारी को प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए प्रदान किया जाने वाला नकद लाभ है। यह लाभ शिक्षक/कर्मचारी को सेवानिवृत्ति, त्यागपत्र दिए जाने या किसी कारणवश सेवा समाप्ति पर भुगतान किया जाता है।
सरकार ने निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार कानून को लागू तो कर दिया, लेकिन निजी स्कूलों में कार्यरत लाखों शिक्षकों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। कई स्कूलों में न तो शिक्षकों को उचित वेतन-भत्ता दिया जाता है और अन्य ही अन्य लाभ। ऐसे में सरकार को समय रहते जरूरी कदम उठाने व शिक्षकों के अधिकारों को संरक्षित करने की जरूरत है।
-खगेश बी. झा, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट