देवरिया। बर्खास्त शिक्षकों से वेतन की रिकवरी करने में बेसिक शिक्षा कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से कोई खास पहल नहीं की जा रही है। फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी करने वाले ऐसे शिक्षक, जो अब सेवा से बाहर किए जा चुके हैं, उन पर पिछले पांच वर्षों में विभाग को करीब 30 करोड़ का चपत लगाने का आरोप है।
पांच साल पहले शासन स्तर से इस मामले को एसटीएफ को सौंप दिया गया। एसटीएफ व विभागीय स्तर पर शुरू हुई जांच में कूटरचित शैक्षिक प्रमाणपत्र, पैन, आधार बदलने के अलावा एक ही नाम से कई ऐसे शिक्षक मिले जो दो जिलों में नौकरी करते हुए पाए गए। मानव संपदा पोर्टल पर भी शैक्षिक प्रमाण पत्रों एवं अन्य दस्तावेजों में मिलान के बाद कई ऐसे शिक्षकों का फर्जीवाड़ा पकड़ में आया।
जिले में पिछले पांच सालों में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी करने के आरोप में एसटीएफ एवं विभागीय स्तर पर सत्यापन के बाद अब तक 64 शिक्षकों की सेवा से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। बखस्ति करने के दौरान ही इन पर विधिक कार्रवाई के साथ ही रिकवरी का भी आदेश जारी किया गया था। पहले ना नुकुर करने के बाद ऐसे अधिकतर शिक्षकों पर विभिन्न थानों में मामला भी संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों की ओर से विभिन्न थानों में दर्ज कराया गया है।
उधर, बेसिक कार्यालय के लेखाधिकारी संजय कुमार गुप्ता ने बताया कि वह वास्त शिक्षकों को कितना वेतन दिया गया है, इसकी गणना करके चला सकते हैं। वसूली का निर्देश बीएसए स्तर से ही किया जाना है।