इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अभियोजन अधिकारी (एपीओ) भर्ती के 80 प्रतिशत पद ओबीसी, एससी/एसटी व अन्य वर्गों के लिए आरक्षित करने पर लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि किन परिस्थितियों में 80 प्रतिशत पद आरक्षित किए गए जबकि नियमानुसार किसी भी परीक्षा में 50 प्रतिशत से अधिक पदों का आरक्षण नहीं किया जा सकता।
यह आदेश न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार ने विनय कुमार पांडेय की याचिका पर अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी को सुनकर दिया है। याचिका में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित एपीओ भर्ती परीक्षा में गलत तरीके से आरक्षण लागू करने को चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि 44 पदों के लिए इलाहाबाद व लखनऊ में लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी। परिणाम आने पर पता चला कि इसमें 44 पदों के सापेक्ष 36 पद आरक्षित वर्ग के लिए रखे गए हैं। इनमें ओबीसी के लिए 21 पद, अनुसूचित जनजाति के लिए तीन और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के लिए चार पद आरक्षित किए गए हैं। इसके अलावा 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण महिलाओं के लिए है। याची का कहना है कि किसी भी दशा में पदों का आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।