परिषदीय शिक्षकों के जिले के अंदर तबादला व समायोजन की नीति जारी कर अफसर भूल गए। बेसिक शिक्षा विभाग ने करीब छह साल बाद नीति तय की है। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार ने 27 जुलाई को ऑनलाइन स्थानांतरण व समायोजन करने का आदेश जारी किया था। उसी आदेश में दस दिन में पोर्टल खोलने की बात भी लिखी थी, लेकिन दो महीने के बाद भी प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।
पहले तो हाईकोर्ट के आदेश पर मेरिटोरियस रिजर्व कैटेगरी (एमआरसी) शिक्षकों के स्कूल आवंटन की वजह से प्रक्रिया रुकी रही। फिर 15 व 16 सितंबर को एमआरसी शिक्षकों को भी विद्यालय आवंटन के बावजूद कोई हलचल नहीं है। शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों के तबादले निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 के मानक पर होने हैं।
तबादलों में विद्यालय के सरप्लस शिक्षकों को ही विकल्प देने का मौका मिलेगा। ये शिक्षक विभाग की ओर से तय स्कूलों में से 25 का विकल्प दे सकेंगे। अन्य शिक्षकों को आवेदन का मौका नहीं मिलेगा। यदि एक ही जिले में पति व पत्नी शिक्षक के रूप में तैनात हैं और वे दोनों सरप्लस सूची में नहीं है। तो तबादला नहीं पा सकेंगे। शिक्षकों को 30 अप्रैल की छात्र संख्या के आधार पर सरप्लस चिन्हित किया जा रहा है, जबकि स्कूलों में बच्चों का प्रवेश 30 सितंबर तक होता है।
27 जुलाई के शासनादेश में एकल अभिभावकों, आसाध्य बीमारी से पीड़ितों और दंपती शिक्षकों, जो सरप्लस नहीं है, को ऑनलाइन आवेदन का मौका नहीं मिलेगा। जो कि गलत है। इस संबंध में अधिकारियों को मांगपत्र भेजा जा चुका है। यदि इन्हें आवेदन का मौका नहीं मिला तो ये सभी शिक्षक कोर्ट का रुख करेंगे।
-अनिल राजभर, परिषदीय शिक्षक