प्रदेश के मत्स्य विकास मंत्री डा. संजय निषाद ने कहा है कि अगले एक सप्ताह के भीतर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग और उनकी पार्टी की तरफ से 17 अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) को अनुसूचित जाति (एस.सी.) की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा जाएगा। जरूरी हुआ तो विधानमण्डल सत्र में दोनों सदनों से इस बाबत एक प्रस्ताव पारित करवा कर भेजेंगे।
उन्होंने बताया कि मंगलवार को मुख्यमंत्री से हुई मुलाकात में उन्हें अवगत करवाया कि यह पूरा मामला सिर्फ परिभाषा का है। डा. निषाद ने कहा कि ओबीसी की सूची में क्रमांक 18 में बेलदार, 36 में गोंड, 53 में मझवार, 66 में तुरहा अंकित हैं जो कि मछुवा समुदाय की कहार, कश्यप, केवल, मल्लाह, निषाद, रैकवार, धीवर, बिन्द, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़यिा, मांझी, मछुआ उपजातियां हैं। क्रम संख्या-18 पर बेलदा के साथ बिन्द, संख्या 36 पर गोंड के साथ गोड़यिा, कहार, कश्यप, बाथम, क्रम संख्या 53 पर मझवार के साथ मल्लाह, केवल, मांझी, निषाद, मछुवा व क्रम संख्या 66 पर तुरैहा के साथ तुरहा, धीमर, धीवर, क्रम संख्या 59 पर पासी तरमाली के साथ भर, राजभर उपजातियां हैं, उनको पारिभाषित किया जाना है।
सपा सरकारों के फैसले पर उठाए सवाल
डा. संजय निषाद ंने सवाल उठाया कि जब राज्य सरकार के पास अधिकार ही नहीं है कि किसी भी जाति को पिछड़ी जाति से निकालकर अनुसूचित जाति की सूची में डाल सके तो किस आधार पर मुलायम सिंह यादव की सरकार ने वर्ष 2005 में और अखिलेश यादव की सरकार ने वर्ष 2016 में आरक्षण की अधिसूचना जारी करवाई। यह जवाब तो अब समाजवादी पार्टी को देना है कि भोले-भाले निषाद समाज को वह क्यों बरगला रहे थे? क्यों अंधेरे में रख रहे थे? उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रपति ने मझवार जाति को एससी मान लिया था, फिर भी कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने इस जाति को ओबीसी में ही रखा। मझवार जाति अब न ओबीसी में है और न एससी में है।
जरूरी हुआ तो दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित करवा कर केंद्र को भेजा जाएगा। इन 17 ओबीसी जातियों की उपजातियों को अब तक सही ढंग से पारिभाषित नहीं किया गया
-डा. संजय निषाद,मत्स्य विकास मंत्री, उत्तर प्रदेश