फर्जी शिक्षक पकड़े जाने के मामले में डीआईओएस ऑफिस से निदेशालय तक के बाबू भी शक के दायरे में, ऐसे हुआ खुलासा


लखनऊ। झांसी जिले के राजकीय विद्यालयों में पांच फर्जी शिक्षकों के नौकरी करने के मामले में प्रधानाध्यापिकाओं की लापरवाही के साथ शिक्षा विभाग के बाबू भी शक के दायरे में हैं। फर्जी शिक्षकों के कार्यभार ग्रहण करने के मामले में शिक्षा विभाग के बाबू भी जांच के घेरे में हैं। डीआईओएस झांसी के कार्यालय के साथ ही निदेशालय के कुछ कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस द्वारा आरोपियों से पूछताछ में मामला खुलने की उम्मीद जताई जा रही है। यही नहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी भी अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं। अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) केके गुप्ता के अनुसार मामले में अन्य दोषियों की तलाश की जा रही है। पकड़े जाने पर उनके विरुद्ध भी कार्यवाही की जाएगी।


ऐसे हुआ खुलासा
झांसी के राजकीय हाईस्कूल, खडौरा में पढ़ा रहे आजमगढ़ जिले के लालमऊ, पोस्ट मेहनाजपुर, तहसील लालगंज निवासी पंचदेव पुत्र रामचरन मौर्य का फर्जी नियुक्ति पत्र अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) केके गुप्ता को मिला तो उन्होंने उसकी जांच कराई। जांच में नियुक्ति पत्र फर्जी पाए जाने पर संयुक्त शिक्षा निदेशक व डीआईओएस

झांसी को कार्यवाही के निर्देश दिए गए। इसके बाद डीआईओएस ने प्रधानाध्यापिका राजकीय हाईस्कूल, खडौरा को कागजात के साथ तलब किया तो पता चला कि उनके विद्यालय में पंचदेव के अलावा दो अन्य सहायक अध्यापक रणविजय विश्वकर्मा पुत्र लालचंद्र विश्वकर्मा और नरेंद्र कुमार मौर्य पुत्र राम आधार मौर्य ने भी उसी तिथि में कार्यभार ग्रहण किया है। अन्य विद्यालयों में नया कार्यभार ग्रहण करने वालों की पड़ताल में पता चला कि जिले के दो अन्य विद्यालयों राजकीय हाईस्कूल वीरा व राजकीय हाईस्कूल बम्हौरी सुहागी में भी एक-एक अध्यापिकाएं जुलाई 2022 में नियुक्त हुई हैं। सभी के नियुक्ति पत्र एक जैसे व पंचदेव की तरह फर्जी लगने व निदेशालय से पत्र निर्गत न होने की बात सामने आने पर डीआईओएस झांसी ने झांसी के मऊरानीपुर व गरौठा में एफआईआर कराने के लिए प्रधानाध्यापिकाओं को निर्देशित किया।