प्रतापगढ़: जिले में शिक्षा के क्षेत्र में नजीर के तौर पर खोले गए मॉडल स्कूलों में पढ़ाई भगवान भरोसे है। मॉडल स्कूलों में 17 शिक्षकों की जरूरत है, मगर कहीं दो शिक्षक हैं तो कहीं तीन शिक्षक। यही वजह है कि नए शिक्षासत्र में इन विद्यालयों में बच्चों का दाखिला कराने से अभिभावकोें ने दूरी बना ली।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता में सुधार लाने की दृष्टि से नजीर के तौर जिले को सात मॉडल स्कूलों की सौगात मिली थी। जिले के कालाकांकर, बाबागंज, संग्रामगढ़, शिवगढ़, पट्टी, संडवाचंद्रिका, देवसरा ब्लॉक में 2011 में मॉडल स्कूलों के निर्माण के लिए तीन-तीन करोड़ से अधिक की धनराशि मिली और कार्य शुरू हुआ।
कालाकांकार ब्लॉक के मुरस्सापुर, बाबागंज के महेवामलकियां, शिवगढ़ ब्लॉक के कूराडीह, आसपुरदेवसरा के महुली गांव में मॉडल स्कूल पं. दीन दयाल उपाध्याय के नाम से संचालित हो रहे हैं। वर्ष 2018 से मॉडल स्कूलों का संचालन हो रहा है, मगर शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया। एक मॉडल स्कूल में कुल 17 शिक्षकों की तैनाती होनी चाहिए। जिसमें 10 प्रवक्ता एवं 7 एलटी शिक्षक, मगर स्कूूलों में शिक्षकों का टोटा है।शिवगढ़ का कूराडीह मॉडल स्कूल तीन एलटी शिक्षकों के सहारे चल रहा है। प्रवक्ता एक भी नहीं हैं। यही हाल महेवामलकिया मॉडल स्कूल का है। यहां दो प्रवक्ताओं की तैनाती है। जबकि कालाकांकर के मुरस्सापुर में एक प्रवक्ता व दो एलटी शिक्षक तैनात हैं। यही हाल आसपुर देवसरा का है। तीन शिक्षकों के सहारे विद्यालय का संचालन हो रहा है।बच्चें नहीं ले रहे दाखिलाकूराडीह में नए सत्र में 40 बच्चों ने प्रवेश लिया है। बाबागंज के महेवामलकिया में कुल 60 बच्चों ने दाखिला लिया है। सबसे कम कक्षा 11 में सिर्फ पांच बच्चों का दाखिला हो पाया। कालाकाकंकर के मुरस्सापुर में कक्षा 6 से 25 बच्चों ने दाखिला लिया है। नौ में छह प्रवेश हुए हैं। जबकि 11वीं में एक भी प्रवेश नहीं हो पाया है।