बीसलपुर / पूरनपुर दावे कुछ भी हों पर बुनियादी शिक्षा की तस्वीर पूरी तरह से बदल नहीं सकी है। कहीं शिक्षक कम हैं तो कहीं बाड़ी न होने से जानवर घुस जाते हैं। यह स्थिति तब है जब 1 कायाकल्प के लिए अभियान चलाया जा चुका है।
दुबे प्राथमिक विद्यालय में सुबह 10 बजे जब जायजा लिया गया तो पता चला कि विद्यालय में कुल 246 बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल सौरभ सदन वाजपेयी अकेले शिक्षक हैं। शिक्षामित्र नहीं है। शिक्षकों का अभाव होने से पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को एक ही स्थान पर बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। विद्यालय में स्मार्ट क्लास की भी व्यवस्था है, लेकिन स्टाफ न होने से बच्चे इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। नगर के परिषदीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में दोपहर 12 बजे प्रधानाध्यापक और दो अनुदेशक मिले। तीसरी अनुदेशक नहीं मिलीं। प्रधानाध्यापक रेहान चिश्ती ने बताया कि अनुदेशक छह माह से अनुपस्थित चल रही हैं। शिक्षक कम होने से इस विद्यालय में हर समय कोई न कोई कक्षा खाली पड़ी रहती है। ऐसी स्थिति में बच्चे स्वयं ही पढ़ते रहते हैं।
पूरनपुर में स्कूलों के कायाकल्प को शोर खूब मचा मगर उच्च प्राथमिक स्कूल अमरैयाकलां में कायाकल्प की मात्र औपचारिकता बरती गई बाउंड्रीवाल का निर्माण न होने से आवारा पशु स्कूल में घुस आते है परिसर में इंटरलॉकिंग नहीं कराई गई।मिट्टी भराव न होने से थोड़ी सी बरसात में जलभराव से बच्चों को निकलना पड़ता है। प्रधानाध्यापक अवधेश कुमार ने बताया कि कायाकल्प के नाम पर नाममात्र के ही काम हुए हैं।