प्रयागराज : प्रदेश में समग्र शिक्षा अभियान के तहत संचालित 1472 विद्यालयों के करीब आठ हजार शिक्षक तीन माह से वेतन से वंचित हैं। अभी तक ये विद्यालय राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) के नाम से संचालित थे।
जीआइसी के शिक्षकों की तरह इन शिक्षकों का वेतन मद एक किए जाने की मांग राजकीय शिक्षक संघ कई बार उठा चुका है। इस संबंध में पत्रावली वित्त विभाग में अटकी है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत संचालित विद्यालयों में शिक्षकों के नौ हजार पद सृजित हैं, जिसमें से करीब आठ हजार शिक्षक कार्यरत हैं। इनको मार्च, अप्रैल और मई का वेतन नहीं मिला है। इस स्थिति पर राजकीय शिक्षक संघ ने गहरी आपत्ति जताई है। संघ के महामंत्री रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि इन शिक्षकों के वेतन में 60 प्रतिशत अंशदान केंद्र सरकार से मिलता है।
शेष 40 प्रतिशत राज्य सरकार देती है। ऐसे में कभी केंद्र सरकार का तो कभी राज्य सरकार का हिस्सा अटक जाता है, जिससे अक्सर समय पर वेतन नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि ये शिक्षक रमसा के नाम पर चयनित नहीं हैं, बल्कि उन्हें विद्यालय संचालन के लिए भेजा गया है। ऐसे में उनका वेतन मद भी जीआइसी शिक्षकों की तरह किया जाना चाहिए, ताकि वित्तीय वर्ष लागू होते ही बजट निर्धारित हो सके।
इस मामले को राजकीय शिक्षक संघ की अध्यक्ष छाया शुक्ला लखनऊ में भी उठा चुकी हैं। शिक्षक संघ और शिक्षकों के दबाव में समग्र शिक्षा अभियान को ओर से मार्च के अंत में वेतन मद परिवर्तन के लिए पत्रावली वित्त विभाग को भेजी गई, जो कि वहीं पड़ी है। महामंत्री के मुताबिक, वित्त विभाग कहता है कि वेतन मद बदलने से केंद्र का मद रुक जाएगा। इस तर्क का उन्होंने विरोध करते हुए कहा कि बेसिक में स्कूल चलो अभियान के शिक्षकों का मद परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की तरह एक है, लेकिन अड़चन नहीं आती, तो इसमें कैसे आएगी। उन्होंने वेतन मद बदलने की मांग उठाई है, ताकि वेतन की समस्या से छुटकारा मिल सके।