सहारनपुर। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा स्मार्ट क्लास में लगे उपकरणों के बिलों की मांग शिक्षकों से की जा रही है, जबकि कुछ शिक्षकों का आरोप है कि फर्म ने उन्हें सामान का बिल नहीं दिया है। ऐसे में शिक्षकों के सामने बिल उपलब्ध कराने की समस्या खड़ी हो गई है। शिक्षकों का यह भी आरोप है कि फर्म द्वारा तब उपलब्ध कराए गए फोन नंबर अब बंद हैं।
शासन के आदेश पर खनन के पैसे से जनपद के परिषदीय विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों के रूप में विकसित किया गया था। इन विद्यालयों में एक-एक स्मार्ट क्लास तैयार की गई थी। स्मार्ट क्लास के लिए 99 हजार रुपये प्रत्येक विद्यालय के खाते में भेजे गए थे, जिससे संबंधित विद्यालय के प्रधान अध्यापक को स्मार्ट क्लास के लिए उपकरण खरीदने थे। शिक्षकों का आरोप है कि विद्यालयों के खातों में पैसा भेजने से पहले विकास भवन के सभागार में हुई बैठक में जिले के एक अधिकारी ने बैठक में मौजूद शिक्षकों को एक फर्म के लोगों से रूबरू कराते हुए उक्त फर्म से ही सामान खरीदने को कहा था। चूंकि निर्देश एक बड़े अधिकारी के थे ऐसे में विभागीय अधिकारियों से लेकर शिक्षकों तक की हिम्मत नहीं थी कि वह किसी अन्य फर्म से सामान खरीद सकें। ऐसे में उक्त फर्म ने उपकरण तो उपलब्ध कराए, लेकिन फर्म ने किसी विद्यालय में बिल दिया और किसी में नहीं। शिक्षक फर्म के लोगों पर बिल के लिए दबाव भी नहीं बना सके। तीन साल बाद अब विभाग संबंधित प्रधानाध्यापकों से बिल की मांग कर रहा है। ऐसे में उन शिक्षकों के सामने समस्या खड़ी हो गई है, जिनको बिल नहीं मिला था। शिक्षकों का आरोप है कि फर्म के लोगों ने उन्हें जो मोबाइल नंबर उस समय दिए थे वह अब बंद जा रहे हैं। यह भी आरोप है कि जो सामान 99 हजार रुपये में उपलब्ध कराया गया था बाजार में उसकी कीमत काफी कम है।