नई दिल्ली: संस्कृत विश्वविद्यालय अब संस्कृत की पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रहेंगे, वे दूसरे विश्वविद्यालयों की तरह सभी ऐसे विषयों की शिक्षा देंगे, जो रोजगारपरक के साथ छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा कर सकें। इनमें बीए, बीएसएसी और बीकाम जैसे डिग्री कोर्स भी शामिल होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय बहु विषयक केंद्र के रूप में तब्दील होंगे। संस्कृत को आम लोगों से जोड़ने सहित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय खुद को किस तरह से तैयार करें, इसको लेकर शनिवार से तीन दिवसीय राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है।
देश के तीनों केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने संयुक्त रूप से पत्रकारों से चर्चा में यह जानकारी दी है। इनमें केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक और राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति के कुलपति प्रोफेसर राधाकांत ठाकुर शामिल हैं।
प्रोफेसर पाठक ने बताया कि संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए आयोजित इस परिचर्चा को उत्कर्ष महोत्सव नाम दिया गया है। यह महोत्सव सात मई से नौ मई तक दिल्ली में चलेगा। शनिवार यानी सात मई को महोत्सव का शुभारंभ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे। इस अवसर पर कई विद्वान मौजूद होंगे। इस दौरान परिचर्चा का विषय ‘नए शैक्षिक युग में संस्कृत अध्ययन का वैश्विक उन्मुखीकरण’ रखा गया है। महोत्सव के दूसरे दिन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. मुरली मनोहर जोशी और समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान होंगे।
तीसरी कक्षा से संस्कृत, छठी से वैदिक गणित पढ़ेंगे बच्चे
धर्मशाला : हिमाचल में अगले शैक्षणिक सत्र से तीसरी कक्षा से बच्चे संस्कृत पढ़ेंगे। तीसरी और चौथी कक्षा में परीक्षा नहीं होगी, जबकि पांचवीं कक्षा में होगी। छठी से दसवीं कक्षा तक वैदिक गणित भी पढ़ाया जाएगा। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डा. सुरेश कुमार सोनी ने शुक्रवार को निदेशक मंडल की 118वीं बैठक में लिए फैसलों की जानकारी पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि मेरिट आधार पर दसवीं व जमा दो कक्षा के मेधावियों की छात्रवृत्ति राशि में बढ़ोतरी की गई है। दसवीं में मेरिट में आने वाले 400 बच्चों को 7200 रुपये छात्रवृत्ति दी जाती थी। अब इसे 12 हजार रुपये किया गया है। जमा दो के आर्ट्स व कामर्स के सौ-सौ बच्चों को 10 हजार की जगह 15 हजार रुपये की छात्रवृत्ति मिलेगी। विज्ञान संकाय के बच्चों को 12 हजार की जगह 17 हजार रुपये मिलेंगे।