आजमगढ़। जनपद के जर्जर परिषदीय स्कूल हादसे का इंतजार कर रहे हैं। शासन ने जर्जर भवनों को ध्वस्त कराने के आदेश दिए हैं। इतना ही नहीं सीडीओ ने 15 दिन के अंदर भवन को ध्वस्त करने का आदेश दिया था।साथ ही ध्वस्त न होने पर सम्बंधित बीइओ की जिम्मेदारी तय करने की बात कही थी।
लेकिन जनपद में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई लंबित पड़ी है। मगर अभी तक यह कार्रवाई लंबित है। जिले में 2702 परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें प्राथमिक विद्यालय 1737, कंपोजिट विद्यालय 481 और उच्च प्राथमिक विद्यालय 484 हैं। उक्त विद्यालयों में 434 विद्यालयों के भवन जर्जर थे।
इनके स्थान पर परिसर में ही विद्यालय का भवन दूसरा बन गया लेकिन जर्जर विद्यालयों के भवनों को नहीं गिराया गया। गाजियाबाद में जर्जर भवन के छत गिरने से बड़ा हादसा हुआ तो शासन ने प्रदेश के समस्त जर्जर भवनों को ध्वस्त करने के निर्देश दिए। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा उक्त जर्जर भवनों का मूल्यांकन कराते हुए 346 का ध्वस्तीकरण कराया गया। वहीं 88 जर्जर भवन विद्यालय परिसर में मौजूद थे। जिन्हें गिराने के लिए मुख्य विकास अधिकारी आनंद कुमार शुक्ला ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार सिंह को नोटिस जारी कर उक्त विद्यालयों के भवनों को ध्वस्त कराने के लिए निर्देश दिए थे।
साथ ही चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों के अंदर जर्जर भवनों को ध्वस्त नहीं कराया गया तो संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की बात कही थी। इसके बाद कुछ विद्यालयों को तो गिरा दिया गया लेकिन कई विद्यालय अभी भी बचे हैं। ऐसे में विद्यालय खबरा बने हुए हैं। मुख्य विकास अधिकारी आनंद कुमार शुक्ला ने बताया कि सभी जर्जर विद्यालयों का मूल्यांकन पूरा कर लिया गया है। नीलामी भी कराई गई लेकिन रेट अधिक होने के कारण कोई ठेकेदार शामिल ही नहीं हुआ। ठेकदार जर्जर विद्यालयों की कम बोली लगा रहे हैं। ऐसे में समस्याएं आ रही है।