लखनऊ : एक महत्वपूर्ण फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि प्रदेश में विभागीय कार्यवाही के मामलों में जांच कर रहे सभी अधिकारियों व दंड प्रदान करने वाले अधिकारियों की लखनऊ स्थित न्यायिक प्रशिक्षण एवं रिसर्च संस्थान में ट्रेंनिग कराई जाए। कोर्ट ने कहा कि अब से बिना ट्रेनिंग लिए कोई भी अधिकारी आगे जांच नहीं बढ़ाएगा। जो भी अधिकारी जांच करेगा, वह अपनी रिपोर्ट पर संस्थान की ओर से प्रदत्त किए जाने वाले सर्टीफिकेट का उल्लेख करेगा।
यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की एकल पीठ ने प्रकाश चंद्र अग्रवाल की याचिका पर पारित किया। याची की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्र का तर्क था कि याची को दंडादेश सुना दिया गया किंतु यूपी सरकार सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली 1999 के नियम सात के तहत जांच के लिए दिनांक, समय और स्थान ही नहीं निश्चित किया। इस प्रकार याची को जांच में समुचित मौका दिए बिना आदेश पारित कर दिया जो कि सिरे से गलत है। कोर्ट ने याची के तर्क को मानते हुए दंडादेश खारिज कर जांच अधिकारी को नये सिरे से जांच करने का आदेश दिया है।कोर्ट ने कहा कि उसके सामने ऐसे बहुत से मामले आ रहे हैं जिनमें जांच के लिए विहित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है। न्यायिक प्रशिक्षण एवं रिसर्च संस्थान में इसी की ट्रेंनिग दी जाती है। कोर्ट ने सरकार को अपने खचेर्ं पर यह ट्रेनिंग कराने का आदेश दिया है।