वाशिंगटन। अमेरिकी सिक्योरिटी कंपनी मैफाफे ने दुनिया के 10 देशों में ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़े जोखिमों को लेकर एक बड़ा सर्वे किया है, जिसमें भारत की स्थिति ज्यादा चिंताजनक बताई गई है। यहां बच्चों को दुनिया में सबसे ज्यादा नुकसान का डर है।
ऑनलाइन गतिविधियों को छिपाने की प्रवृत्तिः सर्वे के अनुसार, आधे से ज्यादा यानी 59% बच्चों ने अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को छिपाया। वे ऑनलाइन जो कुछ भी करते हैं, सबको मिटा देते हैं। वहीं, जब बच्चों को सुरक्षित रखने की बात आई तो माता-पिता ने लैंगिक भेदभाव किया। ऑनलाइन जोखिमों में रहे हैं। लड़कियों को ज्यादा प्रोटेक्टेड किया गया है।
स्मार्टफोन का इस्तेमाल: पढ़ाई के दौरान बच्चे ‘साइबरबुलिंग’ की चपेट में भी आए हैं। कंपनी ने यह रिपोर्ट अमेरिका, भारत, ब्रिटेन समेत 10 देशों के 15,500 माता-पिता और उनके 12,000 बच्चों के सर्वे के आधार पर तैयार की है। सर्वे के दौरान दुनियाभर में 15-16 साल के बीच के 90% किशोरों ने बताया कि उन्होंने पढ़ाई के लिए स्मार्ट फोन या टेबलेट नहीं मिला.
चालाकी सीख रहे
कंपनी ने 'द लाइफ बिहाइंड द स्क्रीन्स ऑफ पैरेंट्स, ट्वींस एंट टींस' नामक रिपोर्ट में दावा किया है कि बच्चे अपनी ऑनलाइन एक्टिविटी को छिपाने में माहिर हो गए हैं। सर्वे में लैंगिक भेदभाव का भी पता चला है। बता दें कि कोविड महामारी की वजह से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मजबूर होना पड़ा। अब इससे जुड़े नुकसान भी सामने आ
लड़कियों के साथ माता पिता ने भेदभाव किया
जिन देशों में सर्वे हुआ है वहां देखा गया कि 10 से 14 साल की लड़कियों को उसी उम्र के लड़कों की तुलना में उनके पर्सनल कम्यूटर या लैपटॉप पर माता-पिता ने ज्यादा निगरानी रखी, जबकि लड़कों का अपने माता-पिता से अपनी ऑनलाइन ऐक्टिविटी छिपाने की कोशिश की.