प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बगैर जांच किए प्रभारी प्रधानाध्यापक को पदावनत कर मूल वेतन पर भेजने के आदेश को गैरकानूनी मानते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने याची को उसके सभी बकाया वेतन व एरियर का भुगतान छह सप्ताह में करने का निर्देश दिया है इसके अलावा कोर्ट ने सरकार पर पचास हर्जाना लगाया है जो कि याची को वाद खर्च के रूप में देना होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने हाथरस के प्रदीप कुमार पुंडीर की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि 6 सप्ताह में भुगतान नहीं किया जाता है तो 7.5 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान करना होगा और सरकार चाहे तो ब्याज की इस रकम की वसूली जिम्मेदार अधिकारियों से कर सकती है। याची की ओर से अधिवक्ता जे एन यादव और प्रणवेश का कहना था की बेसिक शिक्षा अधिकारी हाथरस ने याची के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उसे दीर्घ दंड से दंडित किया उसे पदावनत करते हुए मूल पद और मूल वेतन पर भेज दिया गया याची ने इसके खिलाफ सचिव बेसिक शिक्षा प्रयागराज के समक्ष अपील दाखिल की। सचिव ने भी बीएसए के आदेश को सही करार देते हुए याची की अपील खारिज कर दी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। हाईकोर्ट ने जब अधिकारियों से याची के खिलाफ की गई जांच की रिपोर्ट तलब की तो अदालत को बताया गया कि कोई जांच नहीं की गई है और न ही कोई रिपोर्ट उपलब्ध है। कोर्ट का कहना था कि याची को दीर्घ दंड दिए गए हैं। कोर्ट ने बीएसए हाथरस और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के आदेश को रद्द कर याची को उसके पद पर बहाल करने का आदेश दिया है।