अब शिक्षकों ने निकाला रास्ता, घर बैठे लेते हैं पूरा वेतन, 05 हजार में रख देते हैं प्राइवेट टीचर, जांच में हुआ बड़ा खुलासा


आगरा: प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर हमेशा सवाल उठते हैं। शिक्षकों के स्कूल न जाने के आरोप लगते हैं। एडी बेसिक द्वारा स्कूलों की जांच में ऐसा ही गंभीर मामला पकड़ आया है। एक शिक्षिका घर बैठे वेतन ले रही थी। उसने अपने जगह पांच हजार रुपए में एक प्राइवेट शिक्षिका को स्कूल में लगा रखा था। ये पहला मामला नहीं है, जब ऐसा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया हो। इससे पहले भी एक शिक्षिका विदेश में रहकर वेतन ले रही थी। ये पूरा खेल विभागीय सांठगांठ से चलता है। बिना स्कूल जाए, शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज होती है। इसे विभागीय बोलचाल में एमएसटी कहते हैं।


जैतपुर कलां के प्राथमिक विद्यालय में सरकारी टीचर की जगह पांच हजार रुपए में प्राइवेट टीचर पढ़ा रही थी।
जैतपुर कलां के प्राथमिक विद्यालय में सरकारी टीचर की जगह पांच हजार रुपए में प्राइवेट टीचर पढ़ा रही थी।
जैतपुर कलां में पकड़ा गया फर्जीवाड़ा
एडी बेसिक महेश चंद्र द्वारा मंडलीय उपनिरीक्षक उर्दू राकेश कुमार व मंडलीय समन्वयक एमडीएम रमेश पाराशर को संयुक्त रूप से विद्यालय के निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई। दोनों ने जैतपुर कलां स्थित प्राथमिक विद्यालय नगला सुरई में निरीक्षण किया। यहां पर प्रधान अध्यापिका पूनम सिंह अनुपस्थित मिलीं। वो 29 अप्रैल से अनुपस्थित चल रही थीं। विद्यालय के मिड-डे मील पंजिका, छात्र उपस्थिति पंजिका भी उनके पास ही थी। विद्यालय में उपस्थित अन्य शिक्षकों ने बताया कि पूनम सिंह के स्थान पर एक लड़की पढ़ाने आती है।

उक्त प्राइवेट शिक्षिका भी विद्यालय में मौजूद थी। निरीक्षण टीम ने उस युवती से पूछा तो उसने बताया कि पूनम सिंह द्वारा उसे पांच हजार रुपए में रखा है। वो पिछले साल अक्टूबर से पढ़ा रही है। टीम ने ग्रामीणों के भी बयान लिए। ग्रामीणों ने भी पूनम सिंह के विद्यालय न आने की बात कही। एडी बेसिक ने शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश बीएसए को दिए हैं।

विभागीय अधिकारी की सांठगांठ से फर्जीवाडे़ का पूरा खेल संचालित होता है।

सैंया में पकड़ा गया था मामला
सैंया ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय रघुपुरा में अमिता गुप्ता की तैनाती 2011 में हुई थी। तैनाती के शिक्षिका विदेश चली गई थी। इसके बाद शिक्षिका का वेतन मिलीभगत से जारी होता रहा। बिना आए वेतन लेने के बाद शिक्षिका की शिकायत हुई। इसके बाद शिक्षिका को निलंबित किया गया था। ये मामला काफी चर्चा में रहा था। इसकी तरह दर्जनों मामले ऐसे हैं, जिसमें शिक्षिकाओं के विद्यालय ने आने की शिकायत के बाद भी वेतन जारी होते रहे हैं।

ऐसे होता है फर्जीवाड़ा
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक-शिक्षिकाओं के स्कूल न जाने की अक्सर शिकायत आती है। मगर, इसके बाद भी सबकी उपस्थिति दर्ज होती है। प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री बृजेश दीक्षित का कहना है कि दूरस्थ ब्लॉक बाह, पिनाहट, जैतपुर कलां, खेरागढ़, जगनेर में अधिकारियों की मिलीभगत से पूरा खेल चल रहा है। इस खेल में एआरपी, बिल बाबू व खंड शिक्षाधिकारियों की मिलीभगत होती है। विभाग द्वारा एआरपी को 10 विद्यालयों के निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई है।

ऐसे में जिन स्कूलों शिक्षक नहीं आते हैं या अधिकांश अनुपस्थित रहते हैं, ये उनसे सांठगांठ कर लेते हैं। माह की एक निश्चित धनराशि तय कर ली जाती है। इसे बेसिक शिक्षा विभाग की भाषा में एमएसटी कहते हेँ। धनराशि लेकर इनकी उपस्थिति दर्ज की जाती है। धनराशि का पूरा बंदरबांट होता है। जो टीचर हर माह एमएसटी नहीं देते, फिर उनकी शिकायत कर उन पर कार्रवाई की जाती है।
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