प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की परीक्षा संपन्न हो चुकी है। इसमें हाईस्कूल के संस्कृत विषय के कुछ प्रश्नों के प्रश्नात्मक वाक्यविन्यास और उत्तर-विकल्प, विरामचिह्न-प्रयोग आदिक को लेकर भाषाविज्ञानी और समीक्षक आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने आपत्ति जताई है। कहा है कि परीक्षण में ऐसे प्रश्नों को या तो हटाया जाना चाहिए या सभी परीक्षार्थियों को पूरा अंक देना चाहिए। उन्होंने दावा किया है कि संस्कृत-विषय के 818 (एएस) प्रश्नपत्र में प्रश्नसंख्या 12. (ख) के प्रश्न में ‘लम्बोदर’ के स्थान पर ‘लम्बोदरम्’ होगा, क्योंकि ‘लम्बोदर’ हिन्दी का शब्द है। कथित अशुद्ध शब्द ‘लम्बोदर’ के लिए जितने भी उत्तर-विकल्प दिए गए हैं, वे गलत हैं, क्योंकि वह बहुव्रीहि समास’ का उदाहरण है, जिसे विकल्प में दिया ही नहीं गया है।
इतना ही नहीं, उनका दावा है कि यह प्रश्नात्मक वाक्य ही गलत है। इस प्रश्न का आरम्भ निर्देशात्मक है, इसलिए (:) इस चिह्न के स्थान पर ‘निर्देशक-चिह्न’ (--) लगेगा, जबकि ‘उपविरामचिह्न’ (:) का प्रयोग किया गया है। ठीक इसी के नीचे ‘लम्बोदर’ में समास है’ के आगे कोई चिह्न नहीं लगा है, जबकि वहां ‘विवरण-चिह्न’ (:--) लगेगा, क्योंकि नीचे विवरण दिया गया है। इसी तरह 13 (क) का प्रश्न और उत्तर-विकल्प भी अशुद्ध होने का दावा उन्होंने किया है। प्रश्नात्मक वाक्य में ‘निम्नलिखित रेखांकित पदों में से’ का एक साथ प्रयोग किया गया है, जो कि अनुपयुक्त है, क्योंकि इसका अर्थ होता है, ‘नीचे लिखे गए रेखांकित पदों में से’, जो कि अर्थहीन है। वहां ‘नीचे रेखांकित किए गए पदों में से’ होगा। रेखा ‘खींची’ जाती है, ‘लिखी’ नहीं जाती। प्रश्न 4 के (क) में ‘यशो बलम्’ के स्थान पर अशुद्ध शब्द ‘यशोवलम्’ का प्रयोग किया गया है। प्रश्न 16 के तीसरे-चौथे वाक्य को गलत बताया है। कहा है कि तीसरे में ‘बालिका भोजन खायेगी।’ की जगह ‘बालिका भोजन करेगी।’ और चौथे में ‘राम लक्ष्मण वन गये।’ के स्थान पर ‘राम-लक्ष्मण/राम और लक्ष्मण वन गये।’ होगा। इस तरह की त्रुटियों को उन्होंने परीक्षार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ बताया है।