नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम निर्णय सुनाते हुए कहा कि गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूल के कर्मचारी भी सरकारी स्कूलों के कर्मचारियों को दिए जाने वाले लाभ पाने के हकदार हैं। न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव की पीठ ने संबंधित स्कूल प्रशासन को निर्देश दिया कि वह सातवें वेतन आयोग के तहत याचिकाकर्ताओं के वेतन और अन्य लाभ को नियमों के अनुसार फिर से तय करे और तीन माह में बकाया भुगतान करे।
तय समय में बकाया राशि के भुगतान पर कोई ब्याज नहीं होगा, लेकिन देरी पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगेगा। गैर सहायता प्राप्त एल्कान पब्लिक स्कूल के शिक्षकों ने अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने जून, 2020 के महीने से लेकर अब तक के वेतन से गलत कटौती का भुगतान करने और सातवें वेतन आयोग की शर्तो को लागू करने का निर्देश देने की मांग की थी।
स्कूल ने जवाबी हलफनामे में दलील दी थी कि स्कूल दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से सोसायटी को आवंटित भूमि पर औद्योगिक दरों के तहत चलाया जा रहा है। कोरोना महामारी की स्थिति में सुधार को देखते हुए कर्मचारियों के पूरे वेतन का भुगतान अगस्त, 2021 से शुरू कर दिया था।
स्कूल की वित्तीय स्थिति सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की अनुमति नहीं देती है। इसका एकमात्र कारण यह है कि शिक्षा निदेशक ने पांच वर्षो से शुल्क प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं लिया है। पीठ ने कहा कि इस तरह के अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्णय दिया था। शीर्ष अदालत ने माना था कि गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों के कर्मचारियों का वेतन और भत्ता सरकार द्वारा संचालित स्कूलों के कर्मचारियों के वेतन से कम नहीं हो सकता।