प्रधानाध्यापिका की मेहनत रंग लाई, नगर निगम ने दी नवीन भवन के लिए 1100 वर्ग मीटर जमीन
मथुरा दो कक्ष और एक बरामदे में संचालित हो रहे प्राथमिक विद्यालय बाद की अब तस्वीर बदलने जा रही है। 125 बच्चों वाले इस परिषदीय विद्यालय के 5नवीन भवन के लिए नगर निगम ने 1100 वर्ग गज जमीन
आवंटित कर दी है। इसके लिए पिछले चार 5 साल सं विद्यालय को प्रधानाध्यापिका प्रयासरत थी, जिनकी मेहनत अब रंग ला गई है। प्रधानाध्यापिका के रूप में राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित नीरज मधुरिया की तैनाती होने के बाद छात्र-छात्राओं की संख्या 125 पर पहुंच गई है। एक साथ इन सभी बच्चों को विद्यालय के वर्तमान भवन में समाहित करना मुश्किल होता है। इसी समस्या को देखते हुए कई साल पहले नीरज ने विद्यालय के लिए सरकारी जमीन की तलाश शुरू को तहसील प्रशासन की मदद से गांव बाद में ही बंजर भूमि में दर्ज 1100 वर्ग गज जमीन को तत्कालीन ग्राम पंचायत के माध्यम से विद्यालय के नाम दर्ज कराने के प्रयास शुरू किए लेकिन कुछ समय बाद ग्राम पंचायत नगर निगम का हिस्सा बनने से यह प्रयास उपयोगी साबित नहीं हुए। नई प्रक्रिया में प्रधानाध्यापिका ने नगर निगम और जिला प्रशासन से इस जमीन को विद्यालय के नाम
आवंटित कर दी है। इसके लिए पिछले चार 5 साल सं विद्यालय को प्रधानाध्यापिका प्रयासरत थी, जिनकी मेहनत अब रंग ला गई है। प्रधानाध्यापिका के रूप में राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित नीरज मधुरिया की तैनाती होने के बाद छात्र-छात्राओं की संख्या 125 पर पहुंच गई है। एक साथ इन सभी बच्चों को विद्यालय के वर्तमान भवन में समाहित करना मुश्किल होता है। इसी समस्या को देखते हुए कई साल पहले नीरज ने विद्यालय के लिए सरकारी जमीन की तलाश शुरू को तहसील प्रशासन की मदद से गांव बाद में ही बंजर भूमि में दर्ज 1100 वर्ग गज जमीन को तत्कालीन ग्राम पंचायत के माध्यम से विद्यालय के नाम दर्ज कराने के प्रयास शुरू किए लेकिन कुछ समय बाद ग्राम पंचायत नगर निगम का हिस्सा बनने से यह प्रयास उपयोगी साबित नहीं हुए। नई प्रक्रिया में प्रधानाध्यापिका ने नगर निगम और जिला प्रशासन से इस जमीन को विद्यालय के नाम
आवटत कराने की प्रक्रिया शुरू की। वे बताती है कि इसके लिए उन्होंने नगर निगम, जिला प्रशासन से लेकर शासन तक संबंधित अधिकारियों के कार्यालयों के अनेक चक्कर लगाए आखिरकार मेहनत रंग लाई और नगर निगम के प्रस्ताव को डीएम की संस्तुति के बाद शासन ने भी अनुमति प्रदान कर दी है। नीरज ने बताया कि अब उनकी कोशिश सामाजिक और सरकारी एजेंसियों के माध्यम से विद्यालय के नवीन भवन को तैयार कराना है।
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