। प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति पर सख्ती से अमल कर रही है लेकिन माध्यमिक शिक्षा विभाग को इसकी तनिक भी परवाह नहीं है। शासन ने पिछले 17 वर्षों में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में भ्रष्टाचार कर हुई 40 हजार शिक्षकों की भर्तियों की जांच विजिलेंस को दी है। विजिलेंस के एसपी लगातार पांच से ज्यादा पत्र लिखकर भर्तियों से जुड़ी नियमावली, दस्तावेज मांग चुके हैं लेकिन माध्यमिक शिक्षा निदेशालय भ्रष्टाचार की फाइलों पर कुंडली मारे बैठा है।
विजिलेंस की प्रारंभिक जांच पड़ताल में पता चला है कि विद्यालयों में भर्तियां मनमाने ढंग से कर ली गईं। इसमें जिलों में तैनात जिला विद्यालय निरीक्षकों ने प्रबंधक से साठगांठ की और मनमाने ढंग से अनुमोदन कर चहेतों, रिश्तेदारों या फिर रसूख वालों की भर्तियां कर दी गईं। शिकायतों मिलीं की मोटी रकम लेकर चहेतों को भर्ती किया गया। आम लोगों को इन भर्तियों के विज्ञापन के बारे में जानकारी भी नहीं हो सकी।
पांच बार लिखा गया पत्र: प्रदेश की मौजूदा सरकार ने शिकायत मिलने पर वर्ष 2021 की शुरुआत में जांच सतर्कता अधिष्ठान को दे दी। शासन की मंशा थी कि दूध का दूध पानी का पानी हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो। विजिलेंस अयोध्या के पुलिस अधीक्षक को इसकी जांच दी गई। विजिलेंस चाहती है कि निदेशालय बताए कि भर्ती की नियमावती क्या है? क्या शासनादेश है। वर्ष 2003 से 2020 के बीच सहायक अध्यापकों, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के कितने पदों पर नियुक्ति संबंधित विद्यालयों की प्रबंध समिति, प्रधानाचार्य के द्वारा की गई। भर्ती की चयन समिति किसके आदेश पर गठित हुई। समिति में कौन-कौन सदस्य थे? क्या ये भर्तियां माध्यमिक शिक्षा निदेशक के निर्देशन अथवा संज्ञान में हुई हैं? एसपी विजिलेंस जियालाल यादव कहते हैं-कई बार पत्राचार किया जा चुका है लेकिन माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने माध्यमिक शिक्षा निदेशक से भी इस संबंध में बात की लेकिन नतीजा सिफर रहा।
क्या है शिक्षकों की भर्ती का नियम
● शिक्षक भर्ती सेवा चयन बोर्ड के गठन के बाद होती है।
● लिपिक की भर्ती अनुमोदन के बाद मैनेजर करते हैं।
● अनिवार्य अर्हता के लिए विज्ञापन, फिर इंटरव्यू और टंकण टेस्ट। फिर सूची का अनुमोदन डीआईओएस करते हैं।
● विज्ञापन राष्ट्रीय समाचार पत्रों में निकालना होता है। एक पद के सापेक्ष न्यूनतम तीन को बुलाने का नियम है।
● चयन समिति में पारदर्शिता के आधार पर सदस्य होने चाहिएं।