योगी आदित्यनाथ कैबिनेट का स्वरूप दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के साथ वार्ता के बाद तय, जानिए किसे मिलेगी जगह

बड़े और दिग्गज जैसे शब्दों से परे योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में वही चेहरे जगह पाएंगे, जो पार्टी के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' मंत्र का प्रतीक नजर आएंगे। पार्टी नेतृत्व ने तय किया है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को मजबूती देने वाले युवाओं की ऊर्जा, आधी आबादी की प्रतिनिधि महिलाओं, योगी सरकार-1 में योजनाओं को जमीन पर उतारने में सहयोगी रहे मंत्रियों के अनुभव और 2024 ही नहीं, भविष्य के लिए भाजपा के लिए उम्मीद के चेहरों का योग योगी मंत्रिमंडल में दिखेगा। दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के साथ हुई वार्ता के बाद प्राथमिक तौर पर सरकार का स्वरूप तय कर लिया गया है।




उत्तर प्रदेश में भाजपा को विधानसभा चुनाव में जिस तरह से हर जाति, वर्ग और क्षेत्र से भरपूर वोट मिला है, उसने पार्टी के लिए चुनौतियां और बढ़ा दी हैं। उम्मीदों का बोझ बढ़ा हुआ है, जिसकी शुरुआत मंत्रिमंडल के गठन की प्रक्रिया से ही हो चुकी है। चूंकि, अब सारी तैयारी 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी करनी है, इसलिए हर क्षेत्र और जाति-वर्ग के बीच संतुलन बनाए रखना है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के स्वरूप को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से पहले ही विस्तृत चर्चा कर इस संबंध में दिशा-निर्देश ले चुके हैं। बुधवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ नई दिल्ली स्थित केंद्रीय मुख्यालय में उनकी बैठक हुई, जिसमें राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष, प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डा. दिनेश शर्मा भी शामिल हुए।


सूत्रों ने बताया कि पीएम मोदी के निर्देशानुसार मंथन इसी बिंदु को ध्यान में रखकर हुआ है कि योगी मंत्रिमंडल में उन चेहरों को तरजीह दी जाए, जो लंबे समय तक जनता के बीच पार्टी का चेहरा बने रहें और संगठन को मजबूती दें। इस लिहाज से तय है कि नए विधायकों में जो युवा हैं, उनमें कई को मंत्री बनाया जाएगा।

महिलाओं ने भाजपा को अच्छा समर्थन दिया है, इसलिए महिलाओं की भागीदारी पहले की तुलना में बढ़ाई जा सकती है। इसी तरह अब तक पार्टी का चेहरा बने रहे जो अनुभवी मंत्री योगी के पिछले मंत्रिमंडल में शामिल रहे, उन्हें फिर जगह दी जाएगी। विधानसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा कर उनके क्षेत्रीय-जातीय प्रभाव को देखकर कई का कद बढ़ाया जा सकता है।



नई सरकार के गठन के पैमाने में यह बिंदु भी शामिल है कि जिन क्षेत्रों में भाजपा को अधिक सीटें मिली हैं, वहां मजबूती बनाए रखने के लिए मंत्रियों के रूप में इनाम देना है तो कमजोर रहे क्षेत्रों को पार्टी से जोड़नो के लिए यह दांव चलना होगा।

बेबीरानी मौर्य और केशव प्रसाद मौर्य पर नजर : पार्टी सूत्रों ने बताया कि केशव प्रसाद मौर्य बेशक सिराथू से चुनाव हार गए हैं, लेकिन पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले संगठन के मजबूत नेता के रूप में उन्हें फिर से सरकार में सम्मानजनक पद मिल सकता है। वहीं, आगरा ग्रामीण से विधायक चुनी गईं उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य दलित वर्ग से हैं। वह महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी करती हैं। ऐसे में उन्हें बड़ी कुर्सी मिलना तय है। यह उपमुख्यमंत्री की हो सकती है या दूसरा विकल्प विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने का भी है। संगठन के परिश्रम का ऐसा ही पुरस्कार प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को भी मिल सकता है।


प्रतीक्षा में एमएलसी प्रत्याशियों की सूची : स्थानीय निकाय की 36 सीटों के लिए भाजपा प्रदेश नेतृत्व संभावित नाम पहले ही छांट चुका। दिल्ली की बैठक में इन पर चर्चा भी हो चुकी है, लेकिन देर शाम तक इनकी घोषणा नहीं की गई। कुछ और मंथन के लिए प्रतीक्षा में रखा गया है। इस बीच आयोग ने भी पहले चरण के लिए नामांकन की अंतिम तिथि को 19 मार्च से बढ़ाते हुए 21 मार्च कर दिया है।