मऊ। जिले के अंग्रेजी माध्यम के परिषदीय विद्यालयों में वर्षो से शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। जबकि कई विद्यालयों में पाठ्यपुस्तकों की भी कमी होने से बिना किताबों के ही बच्चे पढ़ रहे हैं। संक्रमण के चलते स्कूलों के ज्यादा समय से बंद रहने के चलते छात्र काफी पिछड़ गए हैं। शिक्षकों को पाठ्यक्रम समझाने में जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
सरकार की तरफ से निजी विद्यालयों के समकक्ष खड़ा करने के लिए जिले में तीन वर्ष पूर्व कई चरणों में 180 परिषदीय विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू की गई। प्रत्येक विद्यालयों में पांच-पांच शिक्षकों की तैनाती की गई। लेकिन दोहरीघाट, फतहपुर मंडाव, बड़रांव ब्लाक दूर दराज के इलाकों में शिक्षकों के न मिल पाने के चलते शिक्षकों की तैनाती नहीं हो सकी। कई विद्यालयों में किताबें कम आई है।
इससे बिन किताबों के ही पढ़ाई करनी पड़ रही है। शिक्षकों की मानें तो कोरोना संक्रमण के चलते लगातार काफी दिनों तक स्कूलों के बंद रहने से बच्चे काफी पिछड़ गए हैं। इससे अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने पर समझ नहीं पा रहे हैं। हिंदी, अंग्रेजी दोनों में पढ़ाना पड़ रहा है। जहां किताबें नहीं हैं वहां काफी समस्या आ रही है। बीएसए डॉ. संतोष कुमार सिंह ने बताया कि किताबों के विद्यालयवार वितरण के चलते समस्या आ रही है। खंड शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। ी डिमांड शासन को भेजी गई है।